Monday, 20 July 2015

ग़ज़ल

गज़ल

तुझे दर्दे गम से मिलाऊँ क्या , तुझे दर्दे गम मैं सुनाऊँ क्या

जी रहा हूँ मैं तेरी याद में, तन्हाइयों से मैं मिलाऊँ क्या

बिस्तर की सिलवटों से पूछो , दिल की बेचैनी मैं सुनाऊँ क्या

पल--पल की बेचैनी न पूछो , ख्वाहिशे मुहब्बत मैं बताऊँ क्या

उस खुदा से कुछ मुझे गिला नहीं, उसकी बेवफाई मैं बताऊँ क्या

बरसों से देखा जिसे नहीं , पता उसका मैं बताऊँ क्‍या

गुलशन में फूल जिसके खिले नहीं, उसे खुशबू से मैं मिलाऊँ क्या

खूबसूरत दिन, खूबसूरत रातें , कहते हैं किसे

मुझे साथ उसका मिला नहीं , तनहा रातें मैं बताऊँ क्या

मैं मुहब्बत बयाँ न कर सका , दर्दे दिल की दास्ताँ मैं सुनाऊँ क्‍या

उसकी आँखें कुछ कह रहीं, क्या कह रही हैं मैं बताऊँ क्या

उनका वो मुस्कुराना याद है , इस दिल पर क्या गुजरी मैं बताऊँ क्‍या

उनकी हर एक अदा पर हम मर मिटे, ये राज़ तुमको मैं बताऊँ क्‍या

उनके दीदार को तरसती आँखें , ये बेकरारी मैं बताऊँ क्या

इंतज़ार तेरा भा गया मुझे, इस एहसास को मैं बताऊँ क्‍या

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