Monday, 13 July 2015

फूलों से खुशबुओं को चुराया नहीं करते - मुक्तक


1.


फूलों से खुशबुओं को चुराया नहीं करते
बहती गंगा में हाथ धोया नहीं करते

थोड़ी सी भी गैरत तुममे बाकी है
तो फूलों को यूं डालियों से तोड़ा नहीं करते


२.


खिलने दो फूलों को खुशबुओं की खातिर
उड़ने दो हौसलों को आसमान की खातिर

रोको न राह उनकी ,जो उड़ने को हैं बेताब
खिलने दो कलियों को फूलों की खातिर


3.


इश्क के फूल खिलाकर कहाँ चले गए वो

जब तक था साथ, हर -पल सावन का
एहसास हुआ


4.


उनकी बेपनाह मुहब्बत ,बसी है यादों में

जब तक थे साथ, इश्क का इजहार हुआ


5.


वक़्त हुआ उनका दीदार किये

उनकी बेवफाई का गर्म बाज़ार हुआ




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