हे पुष्प
गुलाब
हे पुष्प गुलाब
तुम्हारी खुशबू से
महक उठा है चमन
सुरभि तुम्हारी
अति पावन सुखकारी
हे पुष्पों के देव
पाकर सौरभ तुम्हारा
खिलता सबका तन – मन
खुशबू तुम्हारी
पावन , हर्षित करती
महक उठती वीरानियाँ
देव स्थल
तुम्हारी उपस्थिति से
हर्षित हो
मेघ सा आशीर्वाद बरसाते
पीर – पैग़म्बर
तुम्हारी
महक के दीवाने
पाकर तुमको
हर आम हो जाता ख़ास
कोट की जेब से ऊपर
जब तुम विराजमान होते
खिल जाता यौवन
तुम्हें पाकर प्रेयसी भी
छोड़ देती अपना रुदन
हे पुष्पों के राजा
तुम्हें सभी पसंद करें
क्या राजा , क्या प्रजा
काँटों के संग रहकर भी
व्यवहार तुम्हारा न बदला
हे पुष्पों के नायक
पाकर तुमको
धन्य हुए सब
पाकर तुमको
धन्य हुए सब
पाकर तुमको
धन्य हुए सब
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