लम्हा - लम्हा
लम्हा - लम्हा दर्ज होती जिन्दगी
कहीं सुबह , कहीं शाम होती
जिन्दगी
कहीं सावन की फुहार , कहीं दर्द
का विस्तार होती जिन्दगी
लम्हा - लम्हा दर्ज होती जिन्दगी
आंसुओं में डूबती , तब दर्द का
एहसास होती जिन्दगी
आंखों में चमक, तब ख़ुशी का दीदार
होती जिन्दगी
लहरों से टकराती , तब मंजिल का
आगाज़ होती जिन्दगी
लम्हा - लम्हा दर्ज होती जिन्दगी
किसी का दर्द चुराती, तब जीने का एहसास होती जिन्दगी
किसी के गम को ख़ुशी में बदलती, तब
खुदा का दीदार होती जिन्दगी
पीर दिलों की मिटाती , तब जीने का
आगाज़ होती जिन्दगी
लम्हा - लम्हा दर्ज होती जिन्दगी
कब कोशिशों का परवान
चढ़ती , तब जीतने का एहसास होती जिन्दगी
किसी को गम में
डुबोती, तब खुदगर्ज़ होती जिन्दगी
आँखों में आशा की चमक
जगाती, तब जीने का मकसद होती जिन्दगी
किसी गिरते को
संभालती , तब जीवन का आधार होती जिन्दगी
लम्हा - लम्हा दर्ज होती जिन्दगी
लम्हा - लम्हा दर्ज होती जिन्दगी
लम्हा - लम्हा दर्ज होती जिन्दगी
लम्हा - लम्हा दर्ज
होती जिन्दगी
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