Sunday, 8 July 2018

मुझे गुमां न हो अपनी कलम पर


मुझे गुमां न हो अपनी कलम पर

मुझे गुमां न हो अपनी कलम पर , ऐ मेरे खुदा
मेरी कलम से भटकों को राह दिखा , ऐ मेरे खुदा

मेरी कलम तेरी अज़ीज़ हो जाए , ऐ मेरे खुदा
मेरी कलम से सोते हुओं को जगा , ऐ मेरे खुदा

गुलजार हो जाये ये गुलशन , कलम से मेरी
किसी की उम्मीद को आसमां रोशन कर , ऐ मेरे खुदा

मैं लिखूं जो भी लिखूं , वो इवादत बन के रोशन हो
मेरे गीतों को गज़ल का एहसास दे , ऐ मेरे खुदा

उनके आशियाँ को चंद फूल खुशियों के नसीब हों, कलम से मेरी
मेरी कलम को जरिया बना, इकबाल मेरा बुलंद कर , ऐ मेरे खुदा

उनके ज़िस्म का कतरा-कतरा , तेरी इबादत पर हो कुर्बान
मेरी कलम से ये एहसास जगा दे , ऐ मेरे खुदा

उनका इंतज़ार एक तेरे दीदार से हो रोशन
मेरी कलम को अपने दीदार का ज़रिया बना , ऐ मेरे खुदा

मुझे गुमां न हो अपनी कलम पर , ऐ मेरे खुदा
मेरी कलम से भटकों को राह दिखा , ऐ मेरे खुदा




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