Thursday 5 November 2015

जिनकी खुद की किस्मत रोशन नहीं होती

जिनकी खुद की किस्मत , रोशन नहीं होती
क्या वे किसी का , सहारा नहीं होते

जिनकी किस्मत में,  सितारे नहीं होते
क्या उनके जीवन में  , किनारे नहीं होते

जिनकी खुद की किस्मत , दर्दे - ग॒मों का साया है
क्या उनसे किसी की किस्मत , रोशन नहीं होती

ये दुनिया दर्दे - गमों का , समंदर है
चलते रहने से क्या  , दुनिया रोशन नहीं होती

सितारे चाँद को देखकर
यूं रोया नहीं करते

करते हैं खुद को बुलंद

यूं निराश हुआ नहीं करते

जुदाई के गम में
खुद को यूं , रुलाया नहीं करते

रोशन करते हैं , औरों की किस्मत
खुद को यूं , मिटाया नहीं करते

किसी की तरक्की को देखकर
यूं दिल को जलाया नहीं करते

बिछाते हैं फूल दूसरों की राहों में
खुद को यूं सताया नहीं करते


बेहोशी के आल्रम में
यूं रोशन दीपक हुआ नहीं करते

पीते हैं वो
जो जिन्दगी को जिन्दगी समझा नहीं करते












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