Thursday 5 November 2015

कुछ पाने की तमन्ना

कुछ पाने की तमन्ना

कुछ पाने की तमन्ना , तसव्वुर से क्‍यों कर गुजरे
चलो हकीकत को , मंजिल का आशियाँ करें

गम क्या तुझको, गर मंजिल तेरा नसीब नहीं
कोशिशों पर यकीन, तेरे नसीब का हो हिस्सा

जिन्दगी रोशन करने के लिए, रात के दो पल ही काफी हैं
दिन को रात कहने की जिद, करते हैं लोग क्यों

गले का हार हो जाओ तुम, दो पल के लिए ही सही
इस दिल को तेरे पहलू की आरज़ू , खता तो नहीं

बेगाना समझ यूं मुझसे , मुंह न फेर सनम
इस दिल को तेरी आरज़ू, कोई गुनाह तो नहीं

तेरे पहलू में गुजरें मेरी सुबह और शाम ये आरजू है मेरी
यूं ही नहीं किया मैंने , तुझे अपनी जिन्दगी में शामिल

तेरी इबादत मेरी जिन्दगी का मकसद हो जाए
यूं ही नहीं इश्क को इबादते--खुदा कहते हैं

कुछ पाने की तमन्ना , तसव्वुर से क्‍यों कर गुजरे
चलो हकीकत को , मंजिल का आशियाँ करें

गम क्या तुझको, गर मंजिल तेरा नसीब नहीं
कोशिशों पर यकीन, तेरे नसीब का हो हिस्सा







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