सोम
स्तुति ( चन्द्र स्तुति )
चंद्रलोक के तुम हो स्वामी
हो प्रभु तुम नभ के वासी
हे मयंक प्रभु हे रजनीश
हे प्रकृति पोषक हे राकेश
हे विधु प्रभु सोम हमारे
हे रजनीश प्रकृति के दुलारे
हे कलानिधि हे मयंक तुम
कष्ट हरो प्रभु इंदु हमारे
हे निशाकर तुम लगते प्यारे
हे हिमांशु हे शशि हमारे
हे शशांक तुम देव हमारे
पुष्पित होते तुमसे हर अंश
कुदरत पाती तुमसे जीवन
यूं ही जीवन बरसाना तुम
ताल सरोवर पुष्ट करो तुम
शुभ ज्योत्स्ना बिखराओ तुम
खिला तरंगिणी छ जाओ तुम
अमृता सुधा हो बरसाते तुम
कौमुदी चन्द्रिका धरा लाते तुम
हे चाँद हे चंद्रमा तुम
नभ में लगते सबसे प्यारे तुम
पुष्ट करो हम सबका जीवन
खिल जाए हर इक तन मन |
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