मेरी रचनाएं मेरी माताजी श्रीमती कांता देवी एवं पिताजी श्री किशन चंद गुप्ता जी को समर्पित
जीवन में संस्कार ठीक उसी तरह जरूरी हैं जिस तरह शरीर में आत्मा l संस्कारित चरित्र समाज के लिए धरोहर होते हैं वे आने वाली पीढ़ी के लिए आदर्श स्थापित करते हैं l
No comments:
Post a Comment