Friday, 4 October 2019

मुमकिन है


मुमकिन है

जिस सुबह का बड़ी बेसब्री से किया मैंने बरसों इंतज़ार
मुमकिन है उस सुबह का आगाज़ होगा एक दिन

मेरी भी जिन्दगी का गुलशन होगा गुलज़ार
मुमकिन है मेरे भी ख़्वाब होंगे साकार एक दिन

मेरे प्रयासों को भी नसीब होगी वो खुशनुमा सुबह
मुमकिन है मेरी कोशिशें रंग लायेंगी एक दिन

चूम लूंगा अपनी मंजिल अपनी कोशिशों के दम से
मुमकिन है मेरी भी खुशियों का सूरज रोशन होगा एक दिन

जीत जाऊंगा जंग जिन्दगी की खुद पर भरोसा कर
मुमकिन है रोशन जिन्दगी का सफ़र होगा एक दिन

कुछ गीत लिख जाऊंगा , लाऊँगा चेहरों पर नूर
मुमकिन है मुस्कराहटों का समंदर रोशन कर जाऊंगा एक दिन

मेरी कलम होगी मेरी मंजिल का हमसफ़र
मुमकिन है खुशनुमा गीतों का उपवन सजा जाऊंगा एक दिन

रंग लाएगी मेरी कोशिशें , होंगी मेरी मंजिल का हमसफ़र
मुमकिन है खुशियों के गीतों का समंदर रोशन कर जाऊंगा एक दिन


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