हर आज़ादी है पहरे में
हर आजादी है पहरे में
हर शख्स जी रहा पहरे में
साँसें घुंटी – घुंटी हुई सी
हैं
बेजुबां हो गया हर शख्स
पहरे में
अजीब सा डर लिए जी रहा हर
एक शख्स
जुबां वाले भी हो गए
बेजुबां पहरे में
अजब आतंक का खौफ है ये
घुटी - घुटी सी सांस पहरे में
सुन्दरता हो रही अभिशाप
हर वक़्त चीरहरण का खौफ पहरे
में
तिराहों चौराहों पर आवारा
फिरते गोवंश
गोवंश के नाम पर बलि चढ़ रहा
मानव पहरे में
आज रक्षक ही हो रहे भक्षक
अपराध पल रहे पहरे में
माँ- बाप को भी बच्चा चोरी
की नज़र से देखते हैं लोग
मॉब लिंचिंग का शिकार हो
रहे रिश्ते पहरे में
सेंसर बोर्ड पर नहीं पड़ रही
, बुद्धिजीवी समाज किसी की नज़र
समाज के हर पहलू में अश्लीलता,
पैर पसार रही पहरे में
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