Friday, 4 October 2019

मौकापरस्त


 मौकापरस्त

आज के इस मौकापरस्त जमाने में
किसी का अच्छा करे तो क्यूं करे कोई

पुलिस के पचड़े में
बेवजह पड़े तो क्यूं पड़े कोई

अच्छे का सिला हो अच्छा
भला ये क्यूं सोचे कोई

सबकी जिन्दगी का अपना खुदा
क्यूं कर किसी के दर पर नाक़ रगड़े कोई

मुसीबत के वक़्त क्यूं कर
किसी का हमसफ़र बने कोई

अजनबी पर वक़्त – बेवक्त
एतबार क्यूं करे कोई

किसी की राह के काँटों को
अपना क्यूं करे कोई

खोखली होती संवेदनाओं में
अपने को भला क्यूं तलाशे कोई

चीरहरण के इस युग में
मानवता का चोला क्यूं कर ओढ़े कोई

लिव – इन – रिलेशन के जमाने में
सामाजिक रिलेशन क्यूं रखे कोई

आजाद परिंदों की दुनिया में
सामाजिकता में क्यूँ फंसे कोई

अतिमहत्वाकांक्षा के दौर में
रिश्तों की परवाह भला क्यूं करे कोई

आगे बढ़ने की दौड़ में
संस्कारों की परवाह भला क्यूं करे कोई

बेवजह अपनों को अपना
भला क्यूं कहे कोई

गिराकर बढ़ने की चाह दिल में
भला क्यूं न रखे कोई


No comments:

Post a Comment