मौकापरस्त
आज के इस मौकापरस्त जमाने
में
किसी का अच्छा करे तो क्यूं
करे कोई
पुलिस के पचड़े में
बेवजह पड़े तो क्यूं पड़े कोई
अच्छे का सिला हो अच्छा
भला ये क्यूं सोचे कोई
सबकी जिन्दगी का अपना खुदा
क्यूं कर किसी के दर पर नाक़
रगड़े कोई
मुसीबत के वक़्त क्यूं कर
किसी का हमसफ़र बने कोई
अजनबी पर वक़्त – बेवक्त
एतबार क्यूं करे कोई
किसी की राह के काँटों को
अपना क्यूं करे कोई
खोखली होती संवेदनाओं में
अपने को भला क्यूं तलाशे
कोई
चीरहरण के इस युग में
मानवता का चोला क्यूं कर
ओढ़े कोई
लिव – इन – रिलेशन के जमाने
में
सामाजिक रिलेशन क्यूं रखे
कोई
आजाद परिंदों की दुनिया में
सामाजिकता में क्यूँ फंसे
कोई
अतिमहत्वाकांक्षा के दौर
में
रिश्तों की परवाह भला क्यूं
करे कोई
आगे बढ़ने की दौड़ में
संस्कारों की परवाह भला
क्यूं करे कोई
बेवजह अपनों को अपना
भला क्यूं कहे कोई
गिराकर बढ़ने की चाह दिल में
भला क्यूं न रखे कोई
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