Sunday 17 June 2012

जीवन

जीवन
जीवन स्वयं को प्रश्न जाल में
उलझा पा रहा है

जीवन  स्वयं को एक अनजान
घुटन में असहाय पा रहा है

जीवन स्वयं के जीवन के
बारे में जानने में  असफल सा है

जीवन क्या है  इस मकड़जाल को
समझ सको तो समझो

जीवन क्या है , इससे बाहर
निकल सको तो निकलो

जीवन क्या है , एक मजबूरी है
या है कोई छलावा

कोई इसको पा जाता है
कोई पीछे रह जाता

जीवन मूल्यों की बिसात है
जितने चाहे मूल्य निखारो

जीवन आनंदित हो जाए
ऐसे नैतिक मूल्य संवारो

जीवन एक अमूल्य निधि है
हर – क्षण  इसका पुण्य बना लो
मोक्ष मुक्ति मार्ग जीवन का
हो सके तो इसे अपना लो

नाता जोड़ो सुसंकल्पों से
सुआदर्शों को निधि बना लो

जीवन विकसित जीवन से हो
पर जीवन उद्धार करो तुम

सपना अपना जीवन – जीवन
पर जीवन भी अपना जीवन

धरती पर जीवन पुष्पित हो
जीवन – जीवन खेल करो तुम

चहुँ ओर आदर्श की पूंजी
हर पल जीवन विस्तार करो तुम

जीवन अंत ,पूर्ण विकसित हो
नए नर्ग निर्मित करो तुम

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