Wednesday 9 May 2012

मै बिन पखों के

मै बिन पंखों के
मै बिन पंखों के
उड़ना चाहता हूँ
नै आसमां से
दुनिया देखना चाहता हूँ
सुना है  आसमां से
दुनिया सुन्दर दिखती है
खुली आँखों से
ये नज़ारे लेना चाहता हूँ
मै बिन पंखों के
उड़ना चाहता हूँ
आसमां में तारे हैं
बहुत से
मै पास जाकर
इनको  छूना चाहता हूँ
सुना है चाँद भी
दिखता है निराला
मै चाँद पर जाकर
उसे निहारना चाहता हूँ
मै बिन पंखों के
उड़ना चाहता हूँ
फूलों की  खुशबू ने
किया है मुझको कायल
मै भंवरा बन फूलों का
रस लेना  चाहता हूँ
किस्से कहानियों से
मेरा नाता पुराना
मै परी की
कहानी सुनना चाहता हूँ
मै बिन पंखों के
उड़ना चाहता हूँ
मै कोयल बन
मधुर गीत गाना चाहता हूँ
मै कवि बन जीवन में
रौशनी लाना चाहता हूँ
मै शिक्षक बन
ज्ञान विस्तार करना चाहता हूँ
मै बिन पंखों के
उड़ना चाहता हूँ
समर्पण की भावना ने
किया मुझको प्रभावित
मै पृथ्वी की तरह
महान बनना चाहता हूँ
देश भक्ति का जज्बा भी
मुझमे कम नहीं है
मै भगत,सुखदेव
और बिस्मिल बनना चाहता हूँ
मै बिन पंखों के
उड़ना चाहता हूँ
दिखने में छोटा साथ बाती
पर अँधेरे पर है बस उसका
मै अपनी जिंदगी को
दीपों की माला में पिरोना चाहता हूँ
मै दीप बन सबकी जिंदगी को
रोशन करना चाहता हूँ
मै बिन पंखों के
उड़ना चाहता हूँ
मै आसमां से
दुनिया देखना चाहता हूँ

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