Saturday, 1 January 2022

गीत बनकर संवर जाएगी मेरी कलम एक दिन

 गीत बनकर संवर जाएगी मेरी कलम एक दिन

गीत बनकर संवर जाएगी मेरी कलम एक दिन
गजल बन कर निखर जाएगी मेरी कलम एक दिन

सद्विचारों का समंदर हो निखर उठेगी मेरी कलम एक दिन
गीत इंसानियत के रचेगी मेरी कलम एक दिन

पोषित करेगी संस्कारों का उपवन मेरी कलम एक दिन
मानवता से परिपूर्ण विचारों को रोशन करेगी मेरी कलम एक दिन

रिश्तों का एक समंदर रोशन करेगी मेरी कलम एक दिन
सिसकती सांसों को मुस्कुराहट से भर देगी मेरी कलम एक दिन

जिंदगी के गीतों से परिपूर्ण हो संवर जाएगी मेरी कलम एक दिन
सपनों की नगरी में सच का दंभ भरेगी मेरी कलम एक दिन

युवा पीढ़ी को संस्कारों से पोषित करेगी मेरी कलम एक दिन
संस्कृति व संस्कारों का समंदर हो जाएगी मेरी कलम एक दिन

नारी छवि को आसमां पर सुशोभित करेगी मेरी कलम एक दिन
धर्म के राजनीतिक ठेकेदारों पर वज्र बन टूट पड़ेगी मेरी कलम एक दिन

लिखेगी नई इबारत संस्कारों से पोषित समाज की मेरी कलम एक दिन
भटकती युवा पीढ़ी के लिए आदर्शों की पूँजी बन धरोहर हो जाएगी मेरी कलम एक दिन

गीत बनकर संवर जाएगी मेरी कलम एक दिन
गजल बन कर निखर जाएगी मेरी कलम एक दिन

सद्विचारों का समंदर हो निखर उठेगी मेरी कलम एक दिन
गीत इंसानियत के रचेगी मेरी कलम एक दिन

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