Tuesday, 2 November 2021

पाकर तुझे मैं अपना , जीवन संवार लूं

 पाकर तुझे मैं अपना , जीवन संवार लूं

पाकर तुझे मैं अपना , जीवन संवार लूं
खुद को तेरी राह पर , मैं निसार दूं

हो जाऊँ तेरा शागिर्द , अपनी पनाह में रख
तेरी इबादत को अपना, मकसद बना लूं

जागूँ तो तेरा नाम , लब पर हो मेरे
ख़्वाबों में तुझको, मैं अपना हमसफ़र बना लूं

तेरे करम का साया , हो मुझ पर मेरे मालिक
तुझको मैं अपनी जिन्दगी का इमां बना लूं

पाकर तुझे मैं खुद को , रोशन कर लूं
अपनी मंजिल का तुझे , मैं निशाँ बना लूं

रोशन हो जाए वजूद मेरा, तेरे करम से
अपनी कलम को , मैं तेरी इबादत कर लूं

तेरी इबादत में , ए मेरे मालिक
खुद को तेरा शागिर्द बना लूं

तेरे करम के चर्चे , हो रहे गली – गली
खुद को तुझ पर , मैं निसार दूं

पाकर तुझे मैं अपना , जीवन संवार लूं
खुद को तेरी राह पर , मैं निसार दूं

हो जाऊँ तेरा शागिर्द , अपनी पनाह में रख
तेरी इबादत को अपना, मकसद बना लूं


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