Sunday, 14 April 2019

नोटबंदी में सारे हरे नोट ( व्यंग्य )


नोटबंदी में सारे हरे नोट  ( व्यंग्य )

नोट बंदी में सारे हरे नोट , अब गुलाबी हो गए
बाकी सारे नोट अब, कबाड़ी के हो गए

कीमत घट रही नोटों की , दिन  -   - दिन
हज़ार के नोट अब , सौ के बराबर हो गए

गरीबों की थाली से , व्यंजन गायब हो गए
सपने गरीबों की आँखों से , ओझल हो गए

कीमत छू रही आसमां , करें तो क्या करें
इस महंगाई के इस दौर में , सेवन सी पी सी (7cpc) के लाले हो गए

नेताओं की तन्ख्वाह में , चार चाँद लग गए
गरीबों की रसोई पर , अब ताले हो गए

जीना हुआ मुहाल , बताओ करें तो क्या करें
नेताओं के सूट अब, लाखों के हो गए

कहते थे कि आयेंगे , जिन्दगी में अच्छे दिन
अच्छे दिनों के सपने , बस सपने हो गए

कहते थे मैं गया हूँ , सब अच्छा हो रहा
बीस रुपये वाले टमाटर , अस्सी के हो गए

नोटबंदी में हरे नोट , अब गुलाबी हो गए
बाकी सारे नोट , अब कबाड़ी के हो गए

( इस कविता का उद्देश्य किसी की आलोचना करना नहीं इसे  व्यंग्य के रूप में पढ़े )