Tuesday, 16 May 2017

क्यों किसी की तनहा जिन्दगी को , रोशन करता नहीं कोई

क्यों किसी की तनहा जिन्दगी को , रोशन करता नहीं कोई


क्यों किसी की तनहा जिन्दगी को , रोशन करता नहीं कोई
क्यों किसी की सिसकती साँसों का , मरहम होता नहीं कोई

क्यों कर दूसरों के ग़ामों से . कर लिया किनारा
क्यों कर वक्‍त आ पड़े तो , उनको भी पूछता नहीं कोई

सभी की किस्मत एक अदद चाँद से , नहीं होती रोशन
क्यों कर किसी की अँधेरी जिन्दगी का , सितारा होता नहीं कोई

वक़्त के सितम से , हर एक शख्स वाकिफ है.
क्यों कर बुरे वक़्त में किसी का , सहारा होता नहीं कोई

सिसकती साँसों के साथ जी रहे , उस खुदा के बन्दे 
क्यों कर उनकी जिन्दगी में , खुशनुमा पत्र होता नहीं कोई

आसमां से चॉद - सितारे तोड़ कर लाने की , बात करते हैं सभी
इस धरा के अनगिनत असहाय सितारों का , आसमां होता नहीं कोई

क्यों किसी की तनहा जिन्दगी को , रोशन करता नहीं कोई
क्यों किसी की सिसकती साँसों का , मरहम होता नहीं कोई

क्यों कर दूसरों के ग़ामों से . कर लिया किनारा
क्यों कर वक्‍त आ पड़े तो , उनको भी पूछता नहीं कोई



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