Tuesday, 16 May 2017

खुद की पहचान खोजता

खुद की पहचान खोजता

खुद की पहचान खोजता 
खोया हुआ आदमी

अंधेरों में  , उजालों में
खुद को टटोलता आदमी

अपनी ही आदमियत को
खोज  रहा आदमी

खुशियों की गलियों में
गामों के समंदर में 

आदमी की खोज में
भटक रहा आदमी

खुद के एहसास को
और कुछ आसपास को

अंतर्मन के विश्वास को
टोह रहा आदमी

दूसरों की पीर को
आँखों से बहते नीर को

बीतती हर शाम को
'टौह रहा आदमी

वो बचपन की गलियों को
मित्रों की टोली को

रिश्तों के बंधन को
खोज  रहा आदमी

रिश्तों में विश्वास को
किनारे की आस को

जिन्दगी की नाव को
खींच रहा आदमी

गीतों  में राग को
इबादत मैं एतबार को

जीवन की प्यास को
तरस रहा आदमी

विद्यालय में शिक्षा को
पुस्तकों में संस्कार को

देवालय में भगवान्‌ को
खोज रहा आदमी

मित्रों के बीच दोस्ती को
गुरुओं  में देव को

रिश्तों में त्याग को
टोह  रहा आदमी

खुद की पहचान खौजता
खौया हुआ आदमी

अंधेरों मैं , उजालों में
खुद को टटोलता आदमी






क्यों किसी की तनहा जिन्दगी को , रोशन करता नहीं कोई

क्यों किसी की तनहा जिन्दगी को , रोशन करता नहीं कोई


क्यों किसी की तनहा जिन्दगी को , रोशन करता नहीं कोई
क्यों किसी की सिसकती साँसों का , मरहम होता नहीं कोई

क्यों कर दूसरों के ग़ामों से . कर लिया किनारा
क्यों कर वक्‍त आ पड़े तो , उनको भी पूछता नहीं कोई

सभी की किस्मत एक अदद चाँद से , नहीं होती रोशन
क्यों कर किसी की अँधेरी जिन्दगी का , सितारा होता नहीं कोई

वक़्त के सितम से , हर एक शख्स वाकिफ है.
क्यों कर बुरे वक़्त में किसी का , सहारा होता नहीं कोई

सिसकती साँसों के साथ जी रहे , उस खुदा के बन्दे 
क्यों कर उनकी जिन्दगी में , खुशनुमा पत्र होता नहीं कोई

आसमां से चॉद - सितारे तोड़ कर लाने की , बात करते हैं सभी
इस धरा के अनगिनत असहाय सितारों का , आसमां होता नहीं कोई

क्यों किसी की तनहा जिन्दगी को , रोशन करता नहीं कोई
क्यों किसी की सिसकती साँसों का , मरहम होता नहीं कोई

क्यों कर दूसरों के ग़ामों से . कर लिया किनारा
क्यों कर वक्‍त आ पड़े तो , उनको भी पूछता नहीं कोई



तन्हाइयों के इस दौर में




यूं ही मुस्कुराते रहो तुम




यादों के झुरमुट से




Monday, 15 May 2017

उस नन्हे पौधे को




चंद नए एहसास - मुक्तक

१.

तेरे चेहरे में खुदा का अश्क़ नज़र आता है

तेरी मुहब्बत को खुदा की इबादत कहूं या कुछ और कह दूं 

तेरे पहलू! मैं दो पल गुजारूं तो दिल को करार आये 

इसे तेरे इश्क का जूनून कहूं या फिर कुछ और कहूं


२.


तेरी खूबसूरती पर कोई गीत लिखूं या ग़ज़ल कोई

बला की खूबसूरती से नवाज़ा है खुदा ने तुझको


3.


इतिहास के पन्‍नों को कुरेदोगे , तो दर्द पाओगे

नारी व्यथा, सती प्रथा, जौहर और भी बहुत कुछ

4.


यादों में बसाकर रख लो , जिन्दगी के हर खुशनुमा पल

ग़्मों से निज़ात दिला देंगी , तुझको ये खुशनुमा यादें

5.


चलो एक सफ़र, परिंदों के देश का कर देखें

जहां न होता धर्म, न आतंक और न ही आतंकवाद


६.

मैं खुशबू में , खुशबू मुझमे समा जाए

चलो किसी उपवन की सैर कर आयें