Monday 29 June 2015

वो शरमाये तो लगा , चाँद भी शरमाया - मुक्तक

१.


वो शरमाये तो लगा, चाँद भी शरमाया
उनसे नज़रें मिली ,उन पर हमको प्यार आया

चूड़ियों की खनखनाहट ने, जगा दिया मुझको
सपनों में ही सही ,उनको अपने करीब पाया

२.


पाक-साफ़ नीयत से, चाहा है मैंने तुझको
त का खुदा समझा ,मैंने तुझको

रहे मुहब्बत का ,यह चश्मों - चिराग
कुछ इसी आरज़ू से ,पूजा है मैंने तुझको


3.


कौन कहता है , इश्क रुलाता है हमें

ये तो वो शै है , जो खुदा से मिलाता है हमें

4.


चाहता हूँ मेरे खुदा ,तेरी रहमत

कुछ ऐसा कर ,इंसानियत मेरा खुदा हो जाए

खुद को दूसरों के लिए ,कर सकूं कुर्बान

कुछ ऐसा कर हर एक शख्स ,मेरा भगवान हो
जाए


5.


जोश, ज़ज्बा, जूनून, दिल में साथ लिए

चले हैं वतन की राह , दिल में साथ लिए

मर मिटेंगे वतन पर , रोशन चिराग लिए

मिटा देंगे दुश्मनों के निशान, वतन परस्ती का

ज़ज्बा, दिल में साथ लिए






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