Tuesday, 30 June 2015

मुल्क देख रहा है

मुल्क देख रहा है

मुल्क देख रहा है मायूसी का दौर
सरे राह बिकते बदन, चीरहरण का दौर

काम प्रबल विचार, वहशीपन का दौर
टूटती सांसें , असुरक्षा का दौर

रक्षकों पर से उठते , भरोसे का दौर
असामाजिक, अनैतिक  लालसाओं का दौर

अमर्यादित , नाउम्मीदी से जूझता दौर
रिश्तों पर से विश्वास खोते, बन्धनों का दौर

शून्य में झांकती आंखें, आशंका भरे पदचापों का दौर
सामाजिक बन्धनों को “ लिव – इन रिलेशनशिप “ कहने का दौर

शारीरिक सम्मोहन में घिरे रहने का अनैतिक दौर
आध्यात्मिकता को नगण्य बता, आधुनिक विचारों में जीवन ढूँढने का दौर

एक दूसरे को संदेह भरी नज़रों से देखने का दौर
बुजुर्गों के सम्मान और प्रतिष्ठा से खेलने का दौर

आधुनिक वैज्ञानिक विचारों में जीवन स्थापित करने का असफल दौर
सद्विचारों, सद्चारित्रों, आदर्शों,अभिनन्दन मार्ग से विहीन दौर
 स्वय को असहाय बनाये रखने का दौर

क्या यह दौर युवा पीढ़ी के उज्जवल भविष्य की दस्तक है ?
या स्वयं को छलावे में फंसाए रखने का दौर

कब मुक्त होगा यह मानव, कब नींद से जागेगा यह ?
कब इसे अनैतिक प्रयासों का होगा भान ?

कब इसे अपने मानव होने का होगा बोध ?
कब यह रिश्तों के बंधन को समझेगा ?

कब इसे होगा अनैतिकता का बोध ?
कब यह मानव युवा पीढ़ी का आदर्श बन चमकेगा ?

कब यह अभिनन्दन मार्ग पर होगा प्रस्थित ?
कब इसे स्वाकार होगा उस परम तत्व का बोध ?

कब यह  टूटी साँसों का बनेगा सहारा ?
कब इसकी पदचाप शुभ का संकेत होगी ?

कब यह बुजुर्गों के आशीर्वाद तले पायेगा जीवन ?
कब यह आधुनिक विचारों को देगा तिलांजलि ?

कब यह आध्यात्मिकता के मार्ग पर होगा प्रस्थित ?
कब यह काम के वशीकरण से आएगा बाहर ?

 मानव का होना शुभ का संकेत होगा कब?
कब........? कब..........? आखिर कब .............?



Monday, 29 June 2015

शिक्षा साधनों की मोहताज नहीं होती - शिक्षा पर मेंरे विचार


१.

शिक्षा साधनों की मोहताज नहीं होती

शिक्षा हौसलों की उड़ान होती है 


२.


शिक्षा चंद सिक्कों से तौली नहीं जाती

शिक्षा संस्कृति व संस्कारों की बिसात होती है


3.



शिक्षा किसी की व्यक्तिगत जागीर नहीं होती

शिक्षा तो हर एक की किस्मत का नूर होती है




वो शरमाये तो लगा , चाँद भी शरमाया - मुक्तक

१.


वो शरमाये तो लगा, चाँद भी शरमाया
उनसे नज़रें मिली ,उन पर हमको प्यार आया

चूड़ियों की खनखनाहट ने, जगा दिया मुझको
सपनों में ही सही ,उनको अपने करीब पाया

२.


पाक-साफ़ नीयत से, चाहा है मैंने तुझको
त का खुदा समझा ,मैंने तुझको

रहे मुहब्बत का ,यह चश्मों - चिराग
कुछ इसी आरज़ू से ,पूजा है मैंने तुझको


3.


कौन कहता है , इश्क रुलाता है हमें

ये तो वो शै है , जो खुदा से मिलाता है हमें

4.


चाहता हूँ मेरे खुदा ,तेरी रहमत

कुछ ऐसा कर ,इंसानियत मेरा खुदा हो जाए

खुद को दूसरों के लिए ,कर सकूं कुर्बान

कुछ ऐसा कर हर एक शख्स ,मेरा भगवान हो
जाए


5.


जोश, ज़ज्बा, जूनून, दिल में साथ लिए

चले हैं वतन की राह , दिल में साथ लिए

मर मिटेंगे वतन पर , रोशन चिराग लिए

मिटा देंगे दुश्मनों के निशान, वतन परस्ती का

ज़ज्बा, दिल में साथ लिए






वो जो मुस्कुरा दें, तो रोशन बहार हो जाए

१. 

वो जो मुस्कुरा दें ,तो रोशन बहार हो जाए
दिल में उमंग जगे , दिल को करार आये

कौन है जो उनकी मुस्कराहट पर न मरे
हाँ कि खुद को उनकी मुस्कराहट पर निसार आये 

२.

गर सभी को चाँद नसीब हो जाए
तारों की  ओर  से फिर जायेगी नज़र सबकी

गर सभी की किस्मत में आसमां हो जाए
धरती की ओर  फिर नज़र होगी किसकी

3.


किनारों पर बैठकर अथाह समंदर का नज़ारा नहीं करते 
'\करते  हैं सैर समंदर की , यूं लहरों से किनारा नहीं करते 

 मौज़ों से खेलना है जिनकी जिन्दगी का सबब 
वो किनारों पर बैठकर , यूं जिन्दगी गुजारा  नहीं करते








Sunday, 28 June 2015

बनाकर अपना मुझको , वो कहीं गुम हो गए

१.

बनाकर अपना मुझको , वो कहीं गुम हो
गए

हम हैं कि अपनी यादों में , उनकी  तलाश
करते हैं


२.


दिल की आवाज़, दिल ही बेहतर जाने

दिल की दुनिया का अपना ही खुदा होता है 

3.

ज़ख्म दिल के भरेंगे एक दिन, उम्मीद नहीं

दिल का हर एक ज़ख्म ,लाइलाज होता है

4.


जुकाम हुआ नहीं है मुझको, जो ठीक हो जाए

ये दिल का रोग है, जिसका कोई इलाज़ नहीं