Tuesday, 24 June 2014

मैं जब भी पुकारूँ

मैं जब भी पुकारूँ

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना
हाथ में तुम्हारे एक बंशी हो कान्हा

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना

तेरा हर एक रूप सलोना लागे मुझको
में जब भी याद करूं तुम दौड़कर चले आना

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना

तुम हो लगते माया से परे मुझको
जब भी मैं राह से भटकूँ , आकर मुझको राह दिखा जाना

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना

तेरी छवि , तेरा रूप है भाये है मुझको
मेरे मन में आस्था जगा जाना

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना

तेरे उपकार हैं बहुत से मुझ पर
अपनी कृपा का प्रसाद दे जाना

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना

दुर्बल को बल दे दो प्रभु
अपने स्नेह की अनुकम्पा दिखा जाना

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना

अपने अनुपम स्वरूप के दर्शन से
दुखियों के कष्ट मिटा जाना

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना

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