Tuesday, 24 June 2014

राधे – राधे बोल मन रे , राधे – राधे बोल

राधे – राधे बोल मन रे , राधे – राधे बोल

राधे – राधे बोल मन रे, राधे – राधे बोल
भाव मन के खोल मन रे, मन राधे – राधे बोल

बंधन मुक्त हो मन रे , दिल के दरवाजे खोल
भक्ति भाव जगा मन रे , मन राधे – राधे बोल

कान्हा की बांसुरी भाये मोरे मन को
ह्रदय की आवाज़ सुन मन रे , मन राधे – राधे बोल

अस्तित्व मेरा तुमसे कान्हा , मन रहा है डोल
श्रद्धा भाव जगा मन रे , मन राधे – राधे बोल

अनुपम है रूप तेरा , मोर – मुकुट करे विभोर
गऊअन की सेवा कर मन रे , मन राधे – राधे बोल

चंद्रमा सी छवि तेरी , सुरज सा तेज तुझमे
बांसुरी की तान छेड़ मन रे , मन राधे – राधे बोल

भक्ति की ज़ंजीर में जकड़ मुझको कान्हा
माखन का स्वाद चखो मन रे , मन राधे – राधे बोल

रूप तेरा मधुर सलोना , पीर हरे मन की
माया से मुक्त हो मन रे , मन राधे – राधे बोल  

राधे – राधे बोल मन रे, राधे – राधे बोल
भाव मन के खोल मन रे, मन राधे – राधे बोल


मेरे विचारों को उड़ान दो

मेरे विचारों को उड़ान दो

मैं जो भी लिखूं , सत्य लिखूं मेरे विचारों को उड़ान दो
मुझे भी पंख दो , आसमान दो

मेरे विचारों को सम्मान दो
मुझे भी दो पल की उड़ान दो

मेरे विचारों को सत्य का भान दो

जहाज़ मेरा भी तूफ़ान के आगे बढ़े
ऐसा मेरे भीतर भी उफान दो

गड्ढे खोदते – खोदते थक गया हूँ मैं
मेरे विचारों को  विस्फोट का नाम दो

धैर्य अब मुझसे रखा जाता नहीं
मेरे भीतर की ज्वाला को पहचान दो

मेरे विचारों को उड़ान दो
मुझे भी पंख दो , आसमान दो



तुम जो मेरी तमन्नाओं का सिला हो जाओ

तुम जो मेरी तमन्नाओं का सिला हो जाओ

तुम जो मेरी तमन्नाओं का सिला हो जाओ
खुदा कसम मैं तुम पर निसार हो जाऊं

तुम जो मुझको अजीज़ समझो सनम
मैं तेरी राह के कांटे चुन लाऊँ

ज़लवा तेरे हुस्न का बरकरार रहे
मैं तेरी स्याह रातों का चराग हो जाऊं

तेरे एक दीदार की तमन्ना है मुझको
मैं तेरे इश्क़ में डूब जाऊं

तेरी एक मुस्कान की चाह है मुझको
मैं तेरी एक मुस्कराहट पर फ़िदा हो जाऊं

जुस्तजू है मुझे तेरी बाँहों का सहारा मिल जाए
मैं तेरी बाहों में जन्नत पाऊँ

तुझे यूं  ही किसी ने नहीं कहा हुस्न की देवी
काश मैं भी तेरे हुस्न के दो घूँट पी पाऊँ



मैं जब भी पुकारूँ

मैं जब भी पुकारूँ

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना
हाथ में तुम्हारे एक बंशी हो कान्हा

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना

तेरा हर एक रूप सलोना लागे मुझको
में जब भी याद करूं तुम दौड़कर चले आना

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना

तुम हो लगते माया से परे मुझको
जब भी मैं राह से भटकूँ , आकर मुझको राह दिखा जाना

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना

तेरी छवि , तेरा रूप है भाये है मुझको
मेरे मन में आस्था जगा जाना

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना

तेरे उपकार हैं बहुत से मुझ पर
अपनी कृपा का प्रसाद दे जाना

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना

दुर्बल को बल दे दो प्रभु
अपने स्नेह की अनुकम्पा दिखा जाना

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना

अपने अनुपम स्वरूप के दर्शन से
दुखियों के कष्ट मिटा जाना

मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना