Tuesday, 21 September 2021

तेरे चरणों में आकर

 तेरे चरणों में आकर

तेरे चरणों में आकर , संवर गया हूँ मैं

तेरे चरणों की धूलि पाकर, निखर गया हूँ मैं

रोशन हो गयी कलम मेरी, विचार मेरे
तुझसे रिश्ता निभाकर , संवर गया हूँ मैं

चंद क़दमों में ही, नसीब हो गयी मंजिल मुझको
तेरे दर को अपना बनाकर , संवर गया हूँ मैं

तेरी रहमत तेरे करम का , साया हो हम पर
तुझको अपना बनाकर , निखर गया हूँ मैं

चाँद सितारों की तमन्ना , कभी नहीं रही मेरी
तेरे करम से गीत, ग़ज़ल बनकर , संवर गया हूँ मैं

तेरा शागिर्द होकर निखर गया हूँ मैं
तुझको अपना हमसफ़र बनाकर निखर गया हूँ मैं

पीर दिल की भुलाकर , तेरे दर का हो लिया हूँ मैं
तेरी रहमत का प्रसाद पाकर , संवर गया हूँ मैं

तेरे चरणों में आकर , संवर गया हूँ मैं
तेरे चरणों की धूलि पाकर, निखर गया हूँ मैं

रोशन हो गयी कलम मेरी, विचार मेरे
तुझसे रिश्ता निभाकर , संवर गया हूँ मैं

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