Wednesday, 25 November 2020

अजब पैसों की खुमारी है सर पर

 अजब पैसों की खुमारी है सर पर

 

अजब पैसों की खुमारी है सर पर

कहीं बहुमंजिला इमारत की खुमारी है सर पर

तार  - तार हो रहे हैं रिश्ते

कहीं अहं को खुमारी है सर पर

 

क्यूं कर नहीं निभाते नहीं हैं वो रिश्ते

विदेशों में बसने की खुमारी है सर पर

भाई ने भाई का सर दिया है फोड़

जायदाद के लालच की खुमारी है सर पर

 

बहनों को पराया कर दिया है उन्होंने

जायदाद लूट खाने की खुमारी है सर पर

माँ - बाप वृद्धाश्रमों की ख़ाक छानते हैं

आजाद जिन्दगी की खुमारी है सर पर

 

सिसकती साँसों के दर्द से कुछ लेना नहीं है इनका

अजब बिंदास जिन्दगी की खुमारी है सर पर

पैसों की गर्मी सर चढ़ बोलती है

रिश्तों को तोलने की खुमारी है सर पर

तेरी बगिया के फूल हैं हम

 

तेरी बगिया के फूल हैं हम

 

तेरी बगिया के फूल हैं हम

खुशबू से नवाज़ दे हमको

बहक जो जाएँ कदम

संभाल ले हमको

 

तेरे दर के चराग हैं हम

रोशन जहां दे हमको

जो रूठ जाएँ हमारे अपने

मुहब्बत का सिला दे उनको

 

तेरी अमानत हैं हम

आजमाइश से बचा हमको

तू आदिल है ऐ मेरे खुदा

आफताब सा रोशन कर हमको

 

आब  - ए  - आइना की तरह हो रोशन जिन्दगी

अपनी पनाह में ले मुझको

इकबाल बुलंद कर हम सबका

अपने इख्तियार में रख हमको

 

एतबार है तुझ पर हम सबको

अपनी इबादत का सिला दे हमको

तेरी बगिया के फूल हैं हम

खुशबू से नवाज़ दे हमको