अंजामे - वफ़ा
अंजामे - वफ़ा का सिला , मुहब्बत कर देखो
उस खुदा की नवाज़िश , खुदा से आशिक़ी
कर देखो
परिंदों की सी उड़ान , कोशिश कर देखो
मंजिल का दीदार, समंदर की लहरों से
दोस्ती कर देखो
अंजामे - मुहब्बत , दिल की गहराइयों में उतर कर देखो
मिलें दो चार गम , तन्हाइयों में
रात गुजर कर देखो
बुझे न लौ आशिक़ी की , मुहब्बत के
खुदा से रूबरू होकर देखो
अंजामे - दीदार की आरज़ू , उसकी गलियों में बसर के देखो
रिश्तों में अजब सी कसक, गिले शिकवे भूलकर देखो
रोशन हो मंजिल का सफ़र , कोशिशों का
समंदर रोशन कर देखो
मिट जायेंगे सारे गम , किसी के गम में हमसफ़र बनकर देखो
उस खुदा का दीदार, किसी की सिसकती
साँसों का मरहम होकर देखो
खुद को गर खुदा का बन्दा कहते हो ,
इस कायनात से मुहब्बत कर देखो
बिताओ कुछ रातें किसी गरीब के झोपड़े
में , खुदा का एहसास कर देखो
खुदा ने नवाज़ा है तुझे मुहब्बत और
इंसानियत के ज़ज्बे से
खुदा के बन्दों की खिदमत में , खुद
को निसार कर देखो
No comments:
Post a Comment