Sunday, 7 July 2019

अंजामे - वफ़ा


अंजामे  - वफ़ा

अंजामे  - वफ़ा का सिला , मुहब्बत कर देखो
उस खुदा की नवाज़िश , खुदा से आशिक़ी कर देखो

परिंदों की सी उड़ान , कोशिश कर देखो
मंजिल का दीदार, समंदर की लहरों से दोस्ती  कर देखो

अंजामे  - मुहब्बत , दिल की गहराइयों में उतर कर देखो
मिलें दो चार गम , तन्हाइयों में रात गुजर कर देखो

बुझे न लौ आशिक़ी की , मुहब्बत के खुदा से रूबरू होकर देखो
अंजामे  - दीदार की आरज़ू , उसकी गलियों में बसर के देखो

रिश्तों में अजब सी कसक, गिले  शिकवे भूलकर देखो
रोशन हो मंजिल का सफ़र , कोशिशों का समंदर रोशन कर देखो

मिट जायेंगे सारे  गम , किसी के गम में हमसफ़र बनकर देखो
उस खुदा का दीदार, किसी की सिसकती साँसों का मरहम होकर देखो

खुद को गर खुदा का बन्दा कहते हो , इस कायनात से मुहब्बत कर देखो
बिताओ कुछ रातें किसी गरीब के झोपड़े में , खुदा का एहसास कर देखो

खुदा ने नवाज़ा है तुझे मुहब्बत और इंसानियत के ज़ज्बे से
खुदा के बन्दों की खिदमत में , खुद को निसार कर देखो


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