Wednesday 24 October 2018

इंसानियत के रखवालों का अकाल हो गया


इंसानियत के रखवालों का अकाल हो गया

इंसानियत के रखवालों का अकाल हो गया
दमन करने वालों का रूप विकराल हो गया

इंसानियत अपनी किस्मत पर बहा रही है आंसू
खुदा के चाहने वालों का जीना मुहाल हो गया

मदमस्त जवानी से भरे गीतों पर थिरक रहे हैं लोग
सुरीले गीतों से सजे उपवन का अकाल हो गया

नेताओं को राजगद्दी से हो गया है मोह
देश पर मरने वाले नेताओं का अकाल हो गया

“डीजे वाले बाबू “ गीत पर थिरक रहे नर और नारी
मंदिरों में भक्तों का अकाल हो गया

वक़्त बेवक्त की ये पार्टियां और ये मस्ती
उम्र का अंतर घटा , संस्कारों का अभाव हो गया

टूटते और भटकते रिश्तों से पट रही दुनिया
संबंधों में सामाजिकता का अभाव हो गया

बिखर रहे परिवार, भटकती सी जवानियाँ
इस युवा पीढ़ी पर , पाश्चात्य का प्रभाव हो गया

इंसानियत के रखवालों का अकाल हो गया
दमन करने वालों का रूप विकराल हो गया





No comments:

Post a Comment