Wednesday 9 April 2014

जब तुम्हारा अहंकार :- कुछ नए एहसास - मुक्तक

१.

जब तुम्हारा अहंकार साथ छोड़ने लगे

जब तुम्हें ज्ञान रुपी पंख मिलने लगें

जब तुम अपने लक्ष्य के समीप जाने लगो

समझना तुम्हारी प्रार्थना स्वीकार होने लगी है

२.


हा जब तुम अपराजेय महसूस करने लगो
  जब तुम्हारा ज्ञान तुम्हें अलंकृत  करने लगे

 जब तुम उन्नयन  मार्ग पर बढ़ने लगो
 तुम महसूस करना तुम उस परमेश्वर की शरण में हो


3.


जब तुम कवि की तरह रचना करने लगो
है तुम अपने लेखन से लोगों को प्रभावित करने लगो

जब तुम्हारे विचार पथ- प्रदर्शक का कार्य करने लगें
तुम ये एहसास करना तुम पर माँ शारदे का वरद हस्त है 

4.


 
जार तुम्डारा अन्धकार, भक्ति रुपी मार्ग से मिटने लगे
  जब तुम स्वयं को प्रश्न का सेवक समझने लगो

जब तुम असीम शांति का अनुभव करने लगो
समझना तुम पर देवों की असीम अनुकम्पा है



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