Saturday 7 April 2012

दीदार का तेरे इन्तजार है मुझको


दीदार का तेरे इन्तजार है मुझको
तू यहीं कहीं आसपास है, ये एतबार है मुझको
मै तुझको ढूंढूं , ऐसी जुर्रत मै कर नहीं सकता
तू हर एक सांस में बसता है , ये एतबार है मुझको
मक्का हो या मदीना, जहां में सब जगह
तेरे नाम का सिक्का है, ये एतबार है मुझको
दीदार का तेरे, एतबार है मुझको   
किस्सा-ए-करम तेरा, बयान मै क्या करूं
हर शै में तेरा नाम, हर जुबान पे तेरा नाम
खुशबू तेरा एहसास, ये एतबार है मुझको   
पलती है जिंदगी, एक तेरी कायनात में
खिलता है तू फूल बनकर, ये एतबार है मुझको
दीदार का तेरे, एतबार है मुझको  
मेरे पिया तेरा करम, तेरी इनायत हो
जियूं तो तेरा नाम, मेरे साथ-साथ हो
मेरा सारा दर्द तेरा, ये एहसास है मुझको
तेरा आशियाना हो, आशियाँ मेरा   
तू रहता है साथ मेरे, ये एतबार है मुझको
दीदार का तेरे, एतबार है मुझको  
जीता हूँ तेरे दम से, जीता हूँ तेरे करम से
हर एक आह मेरी, करती परेशां तुझको
तू हर दुःख में साथ मेरे, ये एतबार है मुझको
कर दे तू राह आशां, कर दे तू पार मुझको
मरूं तो जुबान पे तू हो, ये एतबार है मुझको
दीदार का तेरे, एतबार है मुझको  

                                                                   अनिल कुमार गुप्ता   

No comments:

Post a Comment