Monday, 21 November 2011

चंद अलफ़ाज़

इक दिन मेरी मज़ार पर आकर वो ये बोले
ए जाने वाले इक बार मिल के तो जाते
कुछ वादे कर जाते कुछ अफ़साने लिख जाते
दे जाते कुछ निशानियाँ मेरा घर आबाद कर जाते
                   -अनिल कुमार गुप्ता- 
  

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