Monday, 18 August 2014

निरपराध चरित्र बनो तुम

निरपराध चरित्र बनो तुम

निरपराध चरित्र बनो तुम
आस्तिकता के गीत बनो तुम
संस्कारों की पुण्य भूमि पर
स्वयं को स्थापित करो तुम

जिज्ञासु धर्मात्मा होकर
पुण्य विचारों से सजो तुम
इश्वर से भक्ति पाकर
सन्मार्ग प्रस्थान करो तुम

जगद्गुरू है वह परमेश्वर
अनुकम्पा के पात्र बनो तुम
मर्यादा का गहना बनकर
आदर्शपूर्ण चरित्र बनो तुम

सामर्थ्य तेरा बढ़ता जाए
सागर सा विशाल बनो तुम
पाकर उस प्रभु की अनुकम्पा
जीवन को पूर्ण करो तुम

निरपराध चरित्र बनो तुम
आस्तिकता के गीत बनो तुम
संस्कारों की पुण्य भूमि पर
स्वयं को स्थापित करो तुम


हे केशव हे बनवारी

हे केशव हे बनवारी

हे केशव हे बनवारी
हे माधव कृष्ण मुरारी

भक्ति का मार्ग सजा तुमसे
प्रेम का मार्ग मिला तुमसे

हे केशव हे बनवारी
हे माधव कृष्ण मुरारी

पावन तुमसे ही विचार हुए
कर्म सभी संस्कार हुए

धर्म की राह मिली तुमसे
युद्ध सभी धर्मयुद्ध हुए

हे केशव हे बनवारी
हे माधव कृष्ण मुरारी
तुम सुन्दर हो अति पावन हो
जीवन के राज मिले तुमसे

प्रेम की परिभाषा तुमसे
मीरा राधा के श्याम हुए

हे केशव हे बनवारी
हे माधव कृष्ण मुरारी

स्वयं पर संयम मिला तुमसे
मोक्ष का मार्ग मिला तुमसे

मित्रता का महत्त्व सिखलाया तुमने
अर्जुन – सुदामा के मित्र हुए

हे केशव हे बनवारी
हे माधव कृष्ण मुरारी

जीवन का अर्थ समझाया तुमने
उपासना का महत्त्व बताया तुमने

आध्यात्म के गुरु हुए तुम
पावन संस्कार सिखाया तुमने

हे केशव हे बनवारी
हे माधव कृष्ण मुरारी



मान अपमान में ना उलझो








भावनाओं में बह जाओ , विचारों में पवित्रता लाओ