Friday, 26 August 2016

सच की राह पर



तेरी इबादत को कर लिया मैंने मकसदे - जिन्दगी कान्हा - भजन



तेरी इबादत को कर लिया मैंने मकसदेजिन्दगी
कान्हाभजन

तेरी इबादत को कर लिया मैंने ,मकसदेजिन्दगी कान्हा
सूरत तेरी दिल में बसा लूं ,तो अच्छा हो

तेरे क़दमों में बसती है ,दोनों जहां की ख़ुशी कान्हा
तेरे क़दमों में खुद को फ़ना कर लूं ,तो अच्छा हो

तेरा नूर मेरे दिल में जगाये ,एहसासेजिन्दगी कान्हा
तेरी छवि दिल में बसा लूं ,तो अच्छा हो

तेरी ख्वाहिश है मुझे तेरे दर में जगह ,नसीब हो कान्हा
मैं तेरे दर का चश्मोचराग़ हो जाऊं ,तो अच्छा हो


 तेरी सूरत को तरसती ,मेरी आँखें कान्हा
मुझे भी दो पल के लिए ही सही तेरा दीदार ,हो जाए तो अच्छा हो

मेरी आरज़ू है खुद को तुझ पर ,निसार दूं कान्हा
मेरी हर एक सांस पर तेरा अधिकार जो हो जाए ,तो अच्छा हो

मुझे तुझसे मुहब्बत हो गयी है कान्हा
तेरी खिदमत मेरी जिन्दगी का मकसद हो जाए ,तो अच्छा हो

मैं जानता हूँ तेरे क़दमों में बसता ,दो जहां का सुख कान्हा
मैं खुद को तुझ पर निसार दूं ,तो अच्छा हो

द्वारा

अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का
 वर्तमान के वी सुबाथू