१.
किस्से इस जहां मैं
कुछ इस तरह बसर कर रहे हैं
जिस तरह हवा में
घुले हुए हों जीव
२
पंख लगा आसमां में
उड़ने को बेताब हैं लोग
धरती हमारी बारगाह है
ये जानते नहीं
3.
पल -पल मरा करते हैं वो
जिन्हें जीने का सल्लीका नहीं
पल - पल सिसकते हैं वो
जिनमे जीने का जज़्बा नहीं
4.
भटके राही हैं वो
जो भरते हैं आधुनिकता का दंभ
वे जानते नहीं आधुनिकता हिला देती है
आदर्शों के स्तम्भ
5.
जलाए रखता है जप सीने मैं
रोशनी की ज्योति
इस उम्मीद से कि
दूसरों की स्याह रातों में
उजाला कर सकूं