Tuesday, 4 June 2013

कुछ चंद एहसास - मुक्तक

१.

किस्से इस जहां मैं 
कुछ इस तरह बसर कर रहे हैं 
 जिस तरह हवा में
घुले हुए हों जीव 


पंख लगा आसमां में
उड़ने को बेताब हैं लोग

धरती हमारी बारगाह है
ये जानते नहीं

3.

पल  -पल मरा करते हैं वो
जिन्हें जीने का सल्लीका नहीं

पल - पल  सिसकते हैं वो
जिनमे जीने का जज़्बा नहीं


4.

भटके राही हैं वो
जो भरते हैं आधुनिकता का दंभ 
वे जानते नहीं आधुनिकता  हिला देती है 
आदर्शों के स्तम्भ 


5.

जलाए रखता है जप सीने मैं
रोशनी की ज्योति

इस उम्मीद से कि
दूसरों की स्याह रातों में
उजाला कर सकूं






जीवन

जीवन
जीवन स्वयं को प्रश्न जाल  में
उलझा पा रहा है
जीवन स्वयं को एक अनजान
घुटन में असहाय पा रहा है

जीवन स्वयं के जीवन को
जानने में असफल सा है
जीवन क्या है ?
इस मकडजाल को
समझ सको तो समझो

जीवन क्या है ?
इससे बाहर
निकल सको तो निकलो
जीवन क्या है ?
एक मजबूरी है
या है कोई छलावा

कोई इसको पा जाता है
कोई पीछे रह जाता
जीवन मूल्यों की
बिसात है
जितने चाहे  मूल्य निखारो
जीवन आनंदित हो जाये

ऐसे नैतिक मूल्य संवारो
जीवन एक अमूल्य निधि है
हर एक क्षण इसका पुण्य बना लो

मोक्ष, मुक्ति मार्ग  जीवन का
हो सके तो इसे अपना लो
नाता जोड़ो सुसंकल्पों से
सुआदर्शों को निधि बना लो

जीवन विकसित जीवन से हो
पर जीवन उद्धार करो तुम
सपना अपना जीवन- जीवन
पर जीवन भी अपना जीवन


धरती पर जीवन  पुष्पित हो
जीवन – जीवन खेल करो तुम
चहुँ ओर आदर्श की पूंजी
हर – पल जीवन विस्तार करो तुम

जीवन अन्तपूर्ण  विकसित हो
नए मार्ग निर्मित करो तुम
नए मार्ग निर्मित करो तुम
नए मार्ग निर्मित करो तुम






Monday, 3 June 2013

हर दिन को नए वर्ष की

हर दिन को नए वर्ष की

हर दिन को नए वर्ष की
मंगल कामना से पुष्पित करो
कुछ संकल्प लो तुम
कुछ आदर्श स्थापित करो तुम

हर दिन यूं ही कल में
परिवर्तित हो जाएगा
तूने जो कुछ न पाया तो
सब व्यर्थ हो जाएगा

उद्योग हम नित नए करें
हम नित नए पुष्प विकसित करें
कर्म धरा को अपना लो तुम
हर-क्षण, हर-पल को पा लो तुम

व्यर्थ समय जो हो जाएगा
हाथ ना तेरे कुछ आएगा
मात-पिता के आशीष तले
जीवन को अनुशासित कर

पुण्य संस्कार अपनाकर
अपना कुछ उद्धार करो तुम
इस पुण्य धरा के पावन पुतले
राष्ट्र प्रेम संस्कार धरो तुम

मानवता की सीढ़ी चढ़कर
संस्कृति का चोला लेकर
पुण्य लेखनी बन धरती पर
नित नए आविष्कार करो तुम

खिल जाये जीवन धरती पर
मानव बन उपकार करो तुम
अपनाकर जीवन में उजाला
नित नए आदर्श गढो  तुम

नित नए आयाम बनो तुम
दयापात्र बनकर ना जीना
अन्धकार को दूर करो तुम
सदाचरण, सद्व्यवहार करो तुम

हर दिन को नए वर्ष की
मंगल कामना से पुष्पित करो
कुछ संकल्प लो तुम
कुछ आदर्श स्थापित करो तुम