Friday 29 July 2016

चाह मुझे मैं खिलूँ पुष्प सा

चाह मुझे मैं खिलूँ पुष्प सा


चाह मुझे मैं खिलैँ पुष्प सा
खुद पर मैं इठलाऊँ
जग को खुशबू से नहलाऊँ
खुशबू का समंदर हो जाऊं
भंवरों को मैं खूब रिझाऊँ
उपवन को मैं महकाऊं
रंग--रंग के पुष्प बनूँ मैं
प्रभु चरणों में बिछ जाऊं
सुन्दर नारी की वेणी होकर
'प्रियतम को मैं रिझाऊँ
शहीदों के चरणों में बिछकर
पावनता की सीमा हो जाऊं
चाह मुझे मैं खिलूँ पुष्प बन
गुरु चरणों में बिछ जाऊं
चाह मुझे मैं जियूं लोक हित
सलिला सा पावन कहलाऊँ




कान्हा मेरे कान्हा . कान्हा मेरे कान्हा

कान्हा मेरे कान्हा


कान्हा मेरे कान्हा , कान्हा मेरे कान्हा

मेरे घर आना प्रभु, मेरे घर आना

तुमको मनाऊँ , तुमको रिझाऊँ

आना प्रभु आना , प्रभु राधा संग आना

मन को मेरे देवालय करना , अंतर्मन में बस जाना

मेरे घर आना प्रभु, गउएं संग लाना

सुबह शाम मैं तुझको ध्याऊँ , मन में प्रभुजी तुम्हें बसारऊँ

मेरे घर आना प्रभु, सुदामा को घर लाना

भाग्य मेरा प्रभु रोशन करना , चरणों में प्रभु अपने रखना

आना प्रभु आना , गोपियों संग आना

मन को मेरे पावन करना, घर को मेरे मंदिर करना

आना प्रभु आना, ग्वाल्रों को संग लाना

अक्ति में तेरी डूबा रहूँ मैं , खुद को भूला-भूला रहूँ मैं

मेरे घर आना प्रभु , मेरे घर आना

मुझको अपना चाकर कर लो , मोक्ष राह पर मुझको वर लो

आना प्रभु आना , वंशी संग लाना


Thursday 28 July 2016

कान्हा मैं तेरे दर पर - भजन



कान्हा मैं तेरे दर पर

कान्हा मैं तेरे दर पर , आऊँ तो आऊँ कैसे
खुद को मैं तेरा , बनाऊँ तो बनाऊं कैसे

भटक रहा हूँ तेरी तलाश में ,शहर से शहर
तेरा पता मैं लगाऊँ ,तो लगाऊं कैसे

मुझे उम्मीद है , एक दिन ढूंढ लूँगा मैं तुझे
तेरे आशियाँ को अपना ,आशियाँ बनाऊं तो बनाऊं कैसे

तेरी कृपा तेरे करम पर है ,भरोसा मुझको कान्हा
इस भरोसे को हकीकत में ,सजाऊँ तो सजाऊँ कैसे

मुझे कुबूल है तेरा हर एक करम कान्हा
तेरी राह में खुद को ,मिटाऊँ तो मिटाऊँ कैसे

चीख पुकार मची है ,इस तेरी दुनिया में कान्हा
इस दुनिया को तेरे सच से ,मिलाऊँ तो मिलाऊँ कैसे

कामना , लालसा में उलझी ,जिन्दगी जी रहे हैं सब
तेरे बन्दों को तेरी इबादत का पाठ ,पढ़ाऊं तो पढ़ाऊं कैसे

क्योंन विश्वास नहीं है ,इस दुनिया को तुझ पर कान्हा
इस दुनिया को ,तेरे दर तक लाऊँ तो लाऊँ कैसे

तेरी इबादत , तेरी सेवा को कर लूं मैं अपना धर्म कान्हा
मोक्ष की राह पर ,आऊँ तो आऊँ कैसे

कान्हा मैं तेरे दर पर , आऊँ तो आऊँ कैसे
खुद को मैं तेरा , बनाऊँ तो बनाऊं कैसे

भटक रहा हूँ तेरी तलाश में ,शहर से शहर
तेरा पता मैं लगाऊँ ,तो लगाऊं कैसे







Sunday 24 July 2016

वक़्त के दरिया में , प्रयासों की नाव पर उतरकर देखो



वक़्त के दरिया में , प्रयासों की नाव पर उतरकर देखो 


वक़्त के दरिया में , प्रयासों की नाव पर उतरकर देखो 

प्रयासों के समंदर में . आत्मविश्वास की ज्योत जलाकर देखो 
जीत जाओगे तुम, मंजिल पर होंगे कदम तेरे 

चंद प्रयासों को न करो , मंजिल की राह का हमसफ़र 

प्रयासों का एक खूबसूरत कारवाँ सजाकर देखो 
मंजिल तेरे क़दमों का निशाँ होगी, तेरे प्रयास तेरी ख़ुशी को देंगे आसमां छोने का एहसास 

किसी की वीरान जिन्दगी का एक कोना रोशन कर देखो 

किसी के बुझे अधरों पर मुस्कान बेखेरकर देखो 
तेरी जिन्दगी को नसीब होगा जीने का मकसद 

किसी गुमसुम सी नन्ही परी के चहरे की मुस्कान बनकर देखो

किसी की सूनी जिन्दगी में बहार बनकर देखो 
तेरी जिन्दगी फूलों के गुलशन की मानिंद होगी रोशन 

किसी की बेबस निगाहों का सुस्वप्न बनकर देखो 

किसी की सिसकती साँसों में खूबसूरत ख़्वाबों का समंदर बनकर देखो 
तेरी जिन्दगी को नसीब होगा , जिन्दगी होने का सबब 









मेरी वफ़ा को है, तेरी वफ़ा से आस


मेरी वफ़ा को है , तेरी वफ़ा से आस

तेरा हमसफ़र बनाने की सदियों रही तमन्ना मेरी 
मेरी वफ़ा को है, तेरी वफ़ा से आस 

तेरी एक मुस्कराहट पर मेरी हज़ारों जिंदगियां कुर्बान 
मेरी वफ़ा को है, तेरी वफ़ा से आस 

चाहा है मैंने तुझको ताउम्र भर के लिए 
मेरी वफ़ा को है, तेरी वफ़ा से आस 

मेरी तनहा रातों को कर अपने एहसास से रोशन 
मेरी वफ़ा को है, तेरी वफ़ा से आस 

मेरे उजाड़ गुलशन में फूल बनकर खिल तू 
मेरी वफ़ा को है, तेरी वफ़ा से आस 

कुछ पल तेरी बाहों में हो मुझे जन्नत नसीब 
मेरी वफ़ा को है, तेरी वफ़ा से आस 

तू मेरी मुहब्बत का खुदा हो मेरी मुहब्बत को परवान चढ़ा 
मेरी वफ़ा को है, तेरी वफ़ा से आस 

मैंने तेरी मुहब्बत में खुद को फ़ना करने की आरज़ू की है 
मेरी वफ़ा को है, तेरी वफ़ा से आस 


Tuesday 19 July 2016

हम जोत जलाएंगे तेरी , तुम आना हमारी कुटिया में


हम जोत जलाएगे तेरी , तुम आना हमारी कुटिया मे

हम जोत जलाएंगे तेरी , तुम आना हमारी कुटिया में
तुम आना हमारी कुटिया मैं , तुम आना हमारी कुटिया में

हम भग लगायेंगे तुमको, तुम आना हमारी कुटिया में
तुम आना हमारी कुटिया में , तुम आना हमारी कुटिया में

गायेंगे भजन तेरे प्रभजी , तुम आना हमारी कुटिया में
तुम आना हमारी कुटिया मैं , तुम आना हमारी कुटिया में

हम फूल बिछायेंगे प्रभुजी, तुम आना हमारी कुटिया में
तुम आना हमारी कुटिया में , तुम आना हमारी कुटिया में

हम दिल में बसा लेंगे तुमको, तुम आना हमारी कुटिया में
तुम आना हमारी कुटिया में , तुम आना हमारी कुटिया में

हम भक्तों को बुलायेंगे तेरे, तुम आना हमारी कुटिया में
तुम आना हमारी कुटिया मैं , तुम आना हमारी कुटिया में

श्रृंगार करेंगे तेरा प्रभुजी, तुम आना हमारी कुटिया में
तुम आना हमारी कुटिया मैं , तुम आना हमारी कुटिया में

हम लंगर लगायेंगे प्रभुजी, तुम आना हमारी कुटिया में
तुम आना हमारी कुटिया मैं , तुम आना हमारी कुटिया में

हम जगराता कराएँगे प्रभुजी , तुम आना हमारी कुटिया में
तुम आना हमारी कुटिया में , तुम आना हमारी कुटिया में

पलकों में बिठाएँगे तुमको, तुम आना हमारी कुटिया में
तुम आना हमारी कुटिया मैं , तुम आना हमारी कुटिया में






Monday 18 July 2016

हर एक मानव भटक रहा है

हर एक मानव भटक रहा है

हर एक मानव भटक रहा है
जीवन सुख को तरस रहा है

धन वैभव की राह मैं उलझा
जाने ऐसा क्यों कर रहा है

कभी तो हौती तन की पीड़ा
कभी तो होती मन की पीड़ा

गिरता उठता , फिर से गिरता
जीव सच को तरस रहा है

शॉर्टकट की राह पर चलता
सच की राह से भटक रहा है

क्या है जन्नत ये न जाने
जाने क्यों ये डोल  रहा है

सच को झूठ झूठ को सच
जाने ऐसा क्यों ये बोल रहा है

'बहका--बहका जीवन इसका
खुद को ये कहाँ खोज रहा है

खुद पर है विश्वास नहीं
रिश्तों पर एतबार नहीं

सच और झूठ के तराजू में
जाने क्यों ये डोल रहा है

फरेब से भरी दुनिया में
सहमा--सहमा सा क्यों लगा रहा है

नफरत के दलदल मैं फंसता
जीवन धन को तरस रहा है

मुक्ति की इसे राह न सूझे
माया--मोह में उलझ रहा है

संयम इसे रास न आये
मुग तृष्णा में उलझ रहा है

मन धीरज धारण नहीं करता.
इधर-उधर मन डोल रहा है

मोक्ष इसे रास नहीं आता
तन की तृष्णा में भटक रहा है.

हर एक मानव भटक रहा है
जीवन सुख को तरस रहा है

धन वैभव की राह मैं उलझा
जाने ऐसा क्यों कर रहा है










उस प्रभु की असीम कृपा , जो मुझ पर हो जाए

उस प्रभु की असीम कृपा

उस परभु की असीम कृपा, जो मुझ पर बरसने लगे
मेरे प्रयासों को मंजिल का  दामन हो नसीब 

उस प्रभु की असीम कृपा , जो मुझ पर बरसने लगे
मुझे भी सागर सा विशाल हदय हो नसीब 

उस प्रभु की असीम कृपा , जो मुझ पर बरसने लगे
मेरे अरमानों को जन्नत हो नसीब 

उस प्रभु की असीम कृपा, जो मुझ पर बरसने लगे
मैं भी पुण्य आत्माओं सा निर्मल हो जाऊं

उस प्रभु की असीम कृपा, जो  मुझ पर बरसने लगे
मे भी सदविचारों की गंगा बहाने लगूं 

उस प्रभु की असीम कृपा जो मुझ पर बरसने लगे
मैं भी सत्मार्ग की और प्रस्थित हो जाऊं

उस प्रभु की असीम कृपा , जो मुझ पर बरसने लगे
में भी सम्माननीय व पूजनीय हो जाऊं

उस प्रभु की असीम कृपा , जो मुझ पर बरसने लगे
इंसानियत मेंरे जीवन का उद्देश्य हों जाए

उस प्रभु की असीम कृपा , जो मुझ पर बरसने लगे
मानव सेवा मेरे जीवन का धर्म हो जाए

उस प्रभु की असीम कृपा , जो मुझ पर बरसने लगे
मुझे भी मोक्ष द्वार के दर्शन नसीब हो जाए

उस परभु की असीम कृपा, जो मुझ पर बरसने लगे
मेरे प्रयासों को मंजिल का  दामन हो नसीब 

उस प्रभु की असीम कृपा , जो मुझ पर बरसने लगे
मुझे भी सागर सा विशाल हदय हो नसीब 








तेरे दर पर चले आये हैं हम , अपना जो सके तो अपना ले

तेरे दर पर चले आये हैं हम , अपना जो सके तो अपना ले

तेरे दर पर चले आये हैं हम , अपना जो सके तो अपना ले 
एक तेरे दम से रौनके जिंदगी अपनी , कुछ और करम कर दे मौला

कुछ लम्हों की इबादत, जीते जौ जन्नत नसीब करें
खामोश जुबाँ को अलफ़ाज़ दे, मेरी दुआओं को तासीर अता कर मौला

बिगड़ी  मेंरी मेरे ख्वाजा  , हो सके तो बना देना मौला 
तुझ पर खुद को कुर्बान  करूं, अपनी जागीर बना मौला

तेरे जलाल से हम सब बाकिफ, अपना जवाहर कर मौला
मेरी आँखों  में तू मेरे  दिल में भी , तू दीदार करा दे तू मौला

जिन्दगी  एक तेरे करम की प्यासी, कुछ तो करम कर दे मौला
जमीर मेरा कभी बोझिल न हो, अपना एहसास जगा मौला

तेरे  दर का चराग मैं हो  जाऊं, ऐसे जज़्बात जगा मौला 
लेरी तारीफ खुदा मैं कैसे करें, ऐसे एहसास जगा मौला

तेरे  दामन का सहारा मिल जाए मुझे , अपना शागिर्द बना  मौला 
उम्मीद पर दुनिया कायम है, अपना जलवा दिखा  मौला 





बाबा रामदेव जी ( रामदेवरा - राजस्थान वाले ) - भजन

बाबा रामदेव जी ( रामदेवरा - राजस्थान वाले)

जय - जय बाबा राम देव जी 
जय - जय बाबा राम देव जी 

पुण्य चरण जब पड़े तुम्हारे 
कष्ट दूर सब हुए हमारे 

जय - जय बाबा राम देव जी
 जय -  जय बाबा राम देव जी 

मन मंदिर में बस जाओ तुम 
पूर्ण करो सब काज हमारे 

संग साथ अब नहीं  है कोई 
हो जाओ प्रभु खेवन हारे 

रोज प्रभु तुम्हें भोग लगावें 
दोनों वक़्त हम आरती गावें 

हम हैं  मुसाफिर राह दिखा दे 
नैया हमारी पार लगा दे 

अपनी शरण में लेना हमको 
परोपकार की राह दिखा दे 

सादा जीवन रहे हमारा 
हमको भाये तेरा द्वारा 

तेरी महिमा हम सब जानें 
चरण शरण हम आये तिहारी 


आओ भोग लगाओ भगवन 
पुण्य करो हम सबे मन 

दर पर तेरे कोई भी आये 
झोली उसकी  भरती जाए 

अहंकार से हमें बचाना 
अपनी शरण में हमको लाना 

जीवन मेरा तुझे समर्पित 
प्रेम मार्ग हमको दिखलाना 

तेरे दर की महिमा निराली 
कोई खाली रहा न सवाली 

तेरे दरश के प्यासे हैं हम 
हमको दरश दिखाओ प्रभु  जी 

मेरी बिगड़ी बनाओ बाबाजी 
रास्ता हमें दिखाओ बाबाजी 

तेरे दर पर मैं हूँ आया 
झोली मेरी भर दो खाली 

जय - जय बाबा राम देव जी 
जय - जय बाबा राम देव जी 
















Tuesday 12 July 2016

रोशन मेरी सुबह और शाम हो जाये

रोशन मेरी सुबह और शाम हो जाए

रोशन मेरी सुबह और शाम , हो जाए
उस खुदा का मुझ पर , करम जो हो जाए

सागर सा विशाल हदय, मेरा हो जाए.
उस खुदा का मुझ पर , करम जो हो जाए

मेरी कोशिशों को मंजिल , नसीब हो जाए
उस खुदा का मुझ पर ,करम जो हो जाए

मेरे नाम की गली--गली , चर्चा हो जाए
उस खुदा का मुझ पर , करम जो हो जाए

इंसानियत की राह मेरी जिंदगी का , मकसद हो जाए.
उस खुदा का मुझ पर , करम जो हो जाए

मेरी भी स्याह रातों में भी , उजाला हो जाए.
उस खुदा का मुझ पर , करम जो हो जाए

मेरे जायज़ अरमानों को , मंजिल नसीब हो जाए
उस खुदा का मुझ पर करम जो हो जाए.








Monday 11 July 2016

सत्कर्म से खुद को क्यों भटका रहे हो

सत्कर्म से खुद को क्यों भटका रहे हो

सत्कर्म से खुद को ,कयों भटका रहे हो
दूसरों के बहकावे में,क्यों आ रहे हो

सत्कर्म का सिला , सत्कर्म होता
क्यों खुद को यूं , बहला रहे हो

दूसरे के मौन को , अपना मौन क्यों करते
पर उपकार से क्यों , घबरा रहे हो

पर पीड़ा को , खुद की पीड़ा समझो
उपकार से क्यों जी , चुरा रहे हो

रिश्तों की मर्यादा से , रिश्ता निभाओ
रिश्तों पर अविश्वास , क्यों दिखा रहे हो

संदेह की परिकल्पना से , बाहर आओ
खुद पर अविश्वास , क्यों जगा रहे हो

उत्साह को जीवन का , अंग कर लो
क्यों सिसक-- सिसक , आंसू बहा रहे हो

'विलाप को क्यों कर लिया , जीवन का अंग तुमने
खुद को उत्साही क्यों नहीं , बना रहे हो

संवेदनहीन क्यों , विचर रहे तुम
क्यों खुद को अभिमानी , बना रहे हो

शालीनता तुम्हें क्यों , रास नहीं आती
घृणा के सागर में , क्यों डुबकी लगा रहे हो

जी रहे क्यों अपराध बोध के साथ , जगत में
इंसानियत से रिश्ता , क्यों नहीं बना रहे हो

खुदा की राह तुमको , क्यों नहीं भाती
स्वयं को क्यों तुम भरमा रहे हो 

स्वयं को तुम क्यों , संयमित नहीं करते
लालसाओं में क्यों , फंसते जा रहे हो

स्वयं के उत्कर्ष से तुम्हें , मोह नहीं क्यों
अभिनन्दन की राह से खुद को , क्यों भटका रहे हो

धार्मिक कार्यों को क्यों नहीं कर लेते , अपनी जिंदगी का मकसद
माया -- मोह में खुद को क्यों , उलझा रहे हो

स्वयं की ही परेशानियों में , हो क्यों उलझे तुम
दूसरों के ग़मों से नाता क्यों नहीं , बना रहे हो












मन मेरे अब रो पड़ो तुम

मन मेरे अब रो पड़ो तुम 


मन मेरे अब रो पड़ो तुम 
नेत्र मेरे अब बह चलो तुम 

चीर न पाओगे तम को 
पीर बढ़ती ही रहो तुम 

पूछ लो सत्कर्म से 
अब कहाँ बसते हो तुम 

मन मेरे अब रो पड़ो तुम 
नेत्र मेरे अब बह चलो तुम 

रोज एक नई निर्भया से 
हो रहे परिचित हो  तुम 

देश भक्त नेता कहाँ अब 
नया जहां कैसे बसाओगे तुम 

मन मेरे अब रो पड़ो तुम 
नेत्र मेरे अब बह चलो तुम 

टूटती आशाओं के संग 
मंजिल कहाँ पाओगे तुम 

डूबती तन्हाइयों में 
कैसे सुकूँ  पाओगे तुम 

मन मेरे अब रो पड़ो तुम 
नेत्र मेरे अब बह चलो तुम 

सत्य की बातें करें क्या 
झूठ की महिमा निराली 

डूबते मझधार में
 किनारे कहाँ पाओगे तुम 

मन मेरे अब रो पड़ो तुम 
नेत्र मेरे अब बह चलो तुम 

बयाँ क्या करूं मैं किसको 
दुखड़ा सुनाऊँ अपना 

है सभी की पीर अपनी 
किसको रोना सुनाऊँ अपना 

मन मेरे अब रो पड़ो तुम 
नेत्र मेरे अब बह चलो तुम 







बाला सुंदरी माता रानी

बाला सुंदरी माता रानी

बाला सुंदरी माता रानी
कर कल्याण जगत कल्याणी

बाला सुंदरी माता रानी

सुन्दर रूप तुम्हारा भाता
भरता सबके जीवन में आशा

बाला सुंदरी माता रानी

सुन्दर अति पावन तुम माता
सारा जग तुमको है ध्याता

बाला सुंदरी माता रानी

चरण कमल का मिले सहारा
पावन हो जाए जग सारा

बाला सुंदरी माता रानी

भव्य बना तेरा चौबारा
चारों पहर चले लंगर न्यारा

बाला सुंदरी माता रानी

मन मंदिर में तुम्हें बसायें
रोशन भाग्य करो महारानी

बाला सुंदरी माता रानी

मन में विश्वास जगाओ माता रानी
दर तेरे हम आये भवानी

बाला सुंदरी माता रानी

कष्टों से माँ हमें बचाओ
रोशन घर कर दो महारानी

बाला सुंदरी माता रानी

ज्योत तेरी हम सदा जलाएं
तुझको दिल से भोग लगावें

बाला सुंदरी माता रानी

मेरी पुकार सुनो महारानी
करो दया हे माता रानी

बाला सुंदरी माता रानी

कुल की रक्षा कर हे माता
सत्य मार्ग पर लो महारानी

बाला सुंदरी माता रानी

पर उपकार को धर्म बनावें
कुल का विस्तार करो महारानी

बाला सुंदरी माता रानी



Sunday 10 July 2016

दुःख की अंधियारी आँखों में , लिख दें चिर मुस्कान

दुःख की अंधियारी आँखों में , लिख दें चिर मुस्कान

दुःख की अंधियारी आँखों में, लिख दें चिर मुस्कान
सिसकती साँसों में बसा दें, आशा की चिर मुस्कान

'किसी के उजड़े चमन को कर दें, पावन उपवन की मधुर
मुस्कान
गहरे अँधेरे के चेहरे पर लिख दें, आशा की चिर मुस्कान

टूटते रिश्तों में भर दें, विश्वास की मधुर मुस्कान
मैली होती गंगा के आँचल में भर दें, पावनता की चिर मुस्कान

संस्कृति के माथे की बिंदी को दें ,नयी पहचान
संस्कारों की चिरपरिचित गंगा को दें ,पावनता की दें मुस्कान

भावना, आवेश को दे तिलांजलि, जीवन में भर दें असीम सुख
का वरदान
हर एक चरित्र के जीवन में भर दें ,अभिनंदन  का प्रकाश

हर एक लाल को मिले ,माँ के आँचल की छाँव
क्यूं न जियें हम अधरों पर लिए ,एक चिरपरिचित मुस्कान

चाहने वालों के दिल में पत्ते इंसानियत की चिर
मुस्कान
नफरत को मिटा दिलों में भर दें , मुहब्बत का पैगाम

मिटा कर दूरियां दिलों में , करें रोशन प्यार का एहसास
पाकीज़ा रिश्तों के समंदर से , रोशन करें हर एक का
'एहसास

इबादत की पाकीज़ा खुशबू से महकें , आशियाँ या रब
पालने की नन्‍्ही परी के चेहरे पर लिख दें ,पाकीज़ा
मुस्कान

धरती के वक्ष स्थल पर , पुष्पित करें पुष्पों का उपवन
इस धरा की साँसों में भर दें ,जीवन की मुस्कान

दुःख की अंधियारी आँखों में, लिख दें चिर मुस्कान
सिसकती साँसों में बसा दें, आशा की चिर मुस्कान

'किसी के उजड़े चमन को कर दें, पावन उपवन की मधुर
मुस्कान
गहरे अँधेरे के चेहरे पर लिख दें, आशा की चिर मुस्कान

दुःख की अंधियारी आँखों में, लिख दें चिर मुस्कान
सिसकती साँसों में बसा दें, आशा की चिर मुस्कान

'किसी के उजड़े चमन को कर दें, पावन उपवन की मधुर
मुस्कान
गहरे अँधेरे के चेहरे पर लिख दें, आशा की चिर मुस्कान



भूल गए क्या साजन मेरे

भूल गये क्या साजन मेरे

भूल गए क्‍या साजन मेरे , तुमको दिल में बसाया था.
मन में तेरा मंदिर बनाकर , श्रद्धाभाव से उसे सजाया था

मन से तुझको किया समर्पित , भक्ति मार्ग अपनाया था
भूल गए क्या साजन मेरे , तुमको दिल में बसाया था.

पावन तेरे चरणों में, मैंने शीश झुकाया था.
श्रद्धााव से मेरे प्रभुजी , तुमको भोग लगाया था

कर श्रृंगार सजाया तुझको, धूप - दीप जलाया था
मेरे प्रभु अति पावन तुम, तुमको मन में बसाया था.

हे परमपूज्य परमात्मा, तुमको दिल में बिठाया था.
पुण्य दृष्टि मुझ पर भी कर दो, तुझ पर खुद को मिटाया था

मेरे घर अब आन बसो तुम, तुमको शीश झुकाऊंगा
पाँव पखारूँगा प्रभु तेरे, मन मंदिर में बसाऊंगा

है पावन परमेश्वर मेरे, तुमको भोग  लगाऊंगा
चरणों में कर पुष्प समर्पित, तुम पर वर - वर जाऊंगा







अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे

अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे

अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे
कोई मस्त इस जहाँ में, कोई तुझे पुकारे

कोई जी रहा अहं में, कोई तुझे पुकारे
अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे

कोई मदिरालय में में मस्त, कोई देवालय में तुझे पुकारे
अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे

कोई जी रहा मल्ंग, कोई सत्संग में तुझे पुकारे
अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे

कोई जी रहा निरंकुश, कोई तुझे पुकारे
अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे

कोई खुद को समझे खुदा, कोई तुझे पुकारे
अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे

कोई जी रहे अनुचर से, कोई तुझे पुकारे
अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे

कोई बनकर मीरा सा, प्रभु तुझे निहारे
अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे

कोई तुझे बोले कान्हा, कोई कृष्णा पुकारे
अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे

कोई बन सुदामा प्रभु जी, कृष्णा - कृष्णा पुकारे
अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे

अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे
कोई मस्त इस जहाँ में, कोई तुझे पुकारे

कोई जी रहा अहं में, कोई तुझे पुकारे
अजब तेरी दुनिया के , अजब हैं नज़ारे




Thursday 7 July 2016

ये कैसी अजब दास्ताँ है - (ग़ज़ल)

ये कैसी अजब दास्तां है

ये कैसी अजब दास्तोँ है , हर शख्स लग रहा परेशां है
किसी को सुनाएँ क्‍या, दर्द-- ए --दिल अपना , अजब मुश्किलों का ये
कैसा समां है

चेहरे दिल की पीर का गवाह बन बैठे , हर एक सांस परेशां-परेशां है
किया था अपने अरमानों को अमानत अपनी , ये कैसा दौर , ये कैसी हवा है

चाँद--सितारे भी मेरी राह का हमसफ़र न हो सके , सूझता जिंदगी का
आगाज नहीं
आब--ए--आइना में उल्झी-उलझी जिंदगी , करें तो खुद को करें आज़ाद
कैसे

आहिस्ता-आहिस्ता खुद को संभालने की है कोशिश मेरी , समझ नहीं
आता मेरा खुदा मुझसे रूठा-रूठा क्यों है
खुद को कहते हैं हम सब अल्लाह के बन्दे , सहमा--सहमा सा हर शख्स ,
आखिर ये माजरा क्या है

ये कैसी अजब दास्ताँ है , हर शख्स लग रहा परेशां है
किसी को सुनाएँ क्या, दर्द-ऐ--दिल अपना , अजब मुश्किलों का ये कैसा
समां है




Wednesday 6 July 2016

चंद लम्हातों में बदल जाती है दुनिया

चंद लम्हातों में बदल जाती है दुनिया

चंद लम्हातों में ,बदल जाती है दुनिया
तेरी कोशिशों , तेरे प्रयासों पर ,जो हो तुझको यकीन

तेरी कोशिशें रंग लायेंगी एक दिन ,जो खुद पर है एतबार तुझे
तेरे प्रयासों को मिलेगा आसमां एक दिन, जो हो खुद पर यकीन तुझको

ये आरज़ू है मेरी , मैं तेरे कदमों की धूल हो जाऊं
ये तमन्ना है मेरी , तुझ पर निसार हो जाऊं

मुझे तुझ पर यकीन , तेरे करम पर एतबार
सुबह हो या शाम , तेरे नाम का सहारा लिए जी रहा हूँ मैं

मैं हो रहा हूँ रोशन , एक तेरे नाम से मेरे मौला
मेरी कोशिशों को ,सपनों का आसमां अता कर मौला 

रहे-इंसानियत को मेरे जीने का मकसद कर मौला 
 जियूं तो राह मैं तेरी, मरूं तो राह में तेरी

आसमां के चाँद-सितारों की आरजू नहीं मुझको
'एक अदद इबादत से नवाज़ दे मुझको मौला

चंद लम्हातों में ,बदल जाती है दुनिया
तेरी कोशिशों , तेरे प्रयासों पर ,जो हो तुझको यकीन

तेरी कोशिशें रंग लायेंगी एक दिन ,जो खुद पर है एतबार तुझे
तेरे प्रयासों को मिलेगा आसमां एक दिन, जो हो खुद पर यकीन तुझको