Monday 9 May 2016

हकीकत पर अफवाहों की धुंध न पड़ने दो


हकीकत पर अफवाहों की धुंध न पड़ने दो

हकीकत पर ,अफवाहों की धुंध न पड़ने दो
पावन मन पर ,कुविचारों का जाल न पलने  दो

अपयश के क्षय से ,कर्तव्य की राह न छोड़ो
प्रयासों पर ,आशंका की परत न जमने दो

अपकार करने वालों पर भी ,उपकार का मरहम लगाकर देखो
अपने स्वस्थ विचारों पर ,संदेह की परत न जमने दो

अपने रक्त की ,हर एक बूँद को पावन करना
अपने कोमल तन पर ,नशे की बुरी छाया न पड़ने दो

अपने हृदय को ,सागर सा विशाल कर देखो
अपनी पावन सोच पर :कुविचारों की बुरी छाया न पड़ने दो

स्वयं को संतों सा , पीरों सा पुष्पित कर देखो
अपने जीवन पर ,माया--मोह की काली छाया न पड़ने दो

खुद को ,हिमालय की तरह स्थिर कर देखो
अपनी कोशिशों पर ,आशंकाओं की धूल न पड़ने दो

स्वयं पर विश्वास , स्वयं को प्रफुल्लित कर देखो
स्वयं पर ,अहंकार और लालसा की धुंध न पड़ने दो

स्वयं को ,उत्कर्ष की राह पर प्रस्थित कर देखो
अपनी कोशिशों पर ,अहं की काली छाया न पड़ने दो

स्वयं को ,उस परमात्म तत्व पर समर्पित कर देखो
अपनी आस्था और विश्वास पर ,अंधविश्वास की काली परत न जमने दो

हकीकत पर ,अफवाहों की धुंध न पड़ने दो
पावन मन पर ,कुविचारों का जाल न पत्नने दो

अपयश के क्षय से ,कर्तव्य की राह न छोड़ो
प्रयासों पर ,आशंका की परत न जमने दो




Friday 6 May 2016

हे दयालु, दया के सागर

हे दयालु, दया के सागर

है दयालु, दया के सागर , शक्ति का संचार हो तुम
पावन कर दो हम सब को प्रभु , मुक्ति का आधार हो तुम

जगत को तुम पालते प्रभु, जीवन ज्योति विस्तार हो तुम
कर्तव्य राह तुम प्रभु दिखाते, सुकर्म का आधार हो तुम

वात्सल्य से पुष्पित करते, संस्कृति का विस्तार हो तुम
मातृत्व से रोशन जीवन , संस्कारों का आधार हो तुम

आस्तिकता से पोषित करते, सौभाग्य का विस्तार हो तुम
रिश्तों को तुम सत्य बताते, प्रेम का आधार हो तुम

विश्व का आधार हो तुम


विश्व  का आधार हो तुम

विश्व का आधार हो तुम,
 शांति का आभास हो तुम

जी रहे जो पुण्य होकर,
 आस्था और विश्वास हो तुम

है दयामय, हे उपकारी,
 मानवता का विस्तार हो तुम

है हिमालय--शिखर वासी,
 जीवन का आधार हो तुम

देवत्व का आभास हो तुम, 
ऐश्वर्य का वरदान हो तुम

है जगत आधार मेरे प्रभु
 सत्कर्म का विस्तार हो तुम

आस्तिक हों विचार मेरे,
 धर्म का सार हो तुम

मिले सबको तेरी चरण रज , 
मोक्ष का आधार हो तुम

करो सबका भाग्य रोशन, 
सौभाग्य का विस्तार हो तुम

चीर दो तम को इस जहाँ से,
 पुष्पित जीवन विस्तार हो तुम



Thursday 5 May 2016

चंचल मन को पावन कर दो


चंचल मन को पावन कर दो

चंचल मन को पावन कर दो ,मुझको भक्ति का वर दो
जीवन को आनंदित कर दो, सद्विचारों से पुष्पित कर दो

हे  परमेश्वर हे परमेश्वर

हे मेरे प्रभु, तुम हो अति पावन ,हे मेरे प्रभु , तुम हो अति आवन
माया--मोह से हमें बचाओ , अभिमानी न हमें बनाओ.

हे परमेश्वर हे परमेश्वर

संस्कार मन भावन कर दो , सत्कर्म से पुष्थित कर दो
कोमल से कोमलतम कर दो , प्रिय से प्रभु प्रियतम कर दो

हे परमेश्वर हे परमेश्वर

जीवन ज्योति  रोशन कर दो , मन मंदिर अति पावन कर दो.
पवित्र से प्रभु पवित्रतम कर दो . श्रेष्ठ से प्रभु श्रेष्ठतम  कर दो

हे परमेश्वर हे परमेश्वर

चरण कमल का देकर सहारा , जीवन मेरा स्वर्ग बना दो.
मर्यादित जीवन हो मेरा, भाग्य मेरा प्रभु रौशन कर दो

हे परमेश्वर हे परमेश्वर

मन तेरे दर्शन का प्यासा , पर उपकार मेरा धर्म कर दो
सज्जनता को धारण कर लूं . मानवता हित मैं जीवन वर दूं

हे परमेश्वर हे परमेश्वर