Thursday 28 January 2016

चंद क़दमों का सहारा ही बहुत है जीने के लिए

चंद क़दमों का सहारा ही बहुत है जीने के लिए

चंद क़दमों का सहारा ही ,बहुत है जीने के लिए
कौन जीता है यहाँ ,पल--पल मरने के लिए.

दो पल के लिए हमसफ़र ,जो हो जाए कोई
कौन जीता है यहाँ ,ताउम्र बसर करने के लिए

एक चाँद ही काफी है , खूबसूरती बयाँ करने के लिए.
कौन जीता है , पल--पल सिसकने के लिए.

उसने सोचा था , एक चाँद उसे भी होगा नसीब
यूं ही नहीं इश्क को खुदा समझा उसने जीने के लिए.

जीते तो रहे हैं सभी, किसी न किसी वजह को लिए.
जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है, बुझदिल तो है मरने के लिए

इश्के - खुदा को कर लिया उसने अपनी जिन्दगी का सबब
मुश्किलों के दौर में वक़्त बचा ही कहाँ है खुदा के लिए.

रोटी, कपड़ा और मकान की आरज़ू लिए जी रहे हैं सब
वरना किसको पड़ी है , जिए दो पहर के लिये.

जिन्दगी की भागदौड़ से मिले दो वक़्त का आराम
कौन नहीं है चाहता , दो वक़्त इबादत के लिए.

मुसीबतों के दौर ने किया, उन्हें मजबूर पीने के लिए
वरना चाहता कौन है पीना दो घूँट , बेवक्त मरने के लिए

लिख दिया है उसने अपना नाम , इतिहास के पत्नों में
वरना किसको पड़ी है , जिये जानवरों सा मरने के लिए.

चंद क़दमों का सहारा ही ,बहुत है जीने के लिए
कौन जीता है यहाँ ,पल--पल मरने के लिए.

दो पल के लिए हमसफ़र ,जो हो जाए कोई
कौन जीता है यहाँ ,ताउम्र बसर करने के लिए



Wednesday 27 January 2016

किसकी बातों पर करें विश्वास

किसकी बातों पर करें विश्वास

किसकी बातों पर करें विश्वास , किसकी बातों पर नहीं
जुल्म के  सौंदागरों से , पट गयी दुनिया

किसको कहूं अपना, किसको कहूँ बेगाना
रिश्तों को , तार --तार कर रहीं दुनिया

कया कहें , क्यो हो रहा ये सब
खुद को क्‍यों , बदनाम कर रही दुनिया

इंसानियत के रखवालों का , दिखता नहीं नामों निशाँ 
दो पल  के मज़े के लिए , चीरहरण कर रही दुनिया

उसने खुद को बचाकर रखा बरसों
अचानक ये क्या  हुआ; उजड़ गयी उसकी दुनिया

मर्यादा लाघते , ये समाज के आवारा चरित्र
न जाने क्यों संस्कारों से, मटक रही दुनिया

क्या बताएँ क्यों हो रहा संस्कृति: संस्करों से पलायन
आधुनिकता की अंधी दौइ की , भेंट  चढ़ रही दुनिया

किताबों से अब रहा नाता नहीं यार
whatsapp, फेसबुक, twitter  में उलझ कर रह गयी दुनिया

खुदा की इबादत के लिए , वक्त बचा ही कहाँ यारों
मल्टीमीडिया  की दुनिया में , उलझ कर रह गयी दुनिया

चंद प्रयासों को सफलता का , समझ रहे वो हमसफ़र
शोर्टकट  की बलि चढ़ रही , आज की युवा दुनिया

कोई तो इनको बताये, किस दिशा में बढ़ रहे हैं हम
यूं ही चलता रहा तो, नासूर होकर रहे जायेगी इनकी दुनिया




चंद लफ़्ज़ों में बयाँ कैसे करूँ शख्सियत तेरी मौला

चंद लफ़्ज़ों में बयाँ कैसे करूँ शख्सियत तेरी मौला 

चंद लफ़्जों में बयाँ कैसे करूँ शख्सियत तेरी मौला
तू कारसाज़ है मेरे लफ़्जों को नूर अता कर मॉला

तूहै अजब, तेरी शान अजब , मुझ पर हो करम मौला 
जिल्लत से बचाना हम सबको, अपनी पनाह मैं रख मौला 

मेरे हर एक प्रयास में हो तू शामिल, कुछ ऐसा कर मौला 
मैं जिस भी डगर से निक्लूँ, एहसास तेरा हो मौला

मेरे दामन को फूलों से सजा मौला, अपने करम से सजा मौला
झोली खाली है मेरी मौला, अपना शागिर्द बना मौला

तुझसे उम्मीद मुझको ऐ मेरे खुदा, अपने दर पर जगह देना मौला
मैं तेरी निगेहबानी में रहूँ. कुछ ऐसा नजारा दे मौला

नफरत से बचाना ऐ मौला, एहसासे मुहब्बत दे मौला 
मैं तेरे करम से वाकिफ हूँ, मुझे अपना मुरीद बना मौला 

कुछ तेरी नवाजिश हो मौला, मुझे तुझसे निस्वत हो मौला
मुझ पर हो करम तेरा मला, पलकों पर बिठा कर रख मौला 

तेरा पैगाम उसूल मेरा , सच की राह दिखा मौला 
मैं जागूं तो दम से तेरे. सोऊँ तो करम तेरा मौला

मेरी ख्वाहिशों में बसर कर मॉला, मेरी निगाहों में बस मौला
मेरे अरमानों , मेरे खवाबों को सजा मौला 

मेरी जिन्दगी को इंसानियत की राह पर कुर्बान कर मौला 
जियूं जब तक लब पर हो नाम तेरा, मरूं तो आगोश में ले मौला 




Tuesday 26 January 2016

क्या सुन रहे हो कान्हा

क्या  सुन रहे हो कान्हा

क्या  सुन रहे हो कान्हा , मेरे दिल की पुकार को
मेरे दिल की पुकार को, मेरे दिल की पुकार को

चरणों मैं जगह दे दो, तेरे दीदार को
क्या सुन रहे हो कान्हा, मेरे दिल की पुकार को

तारीफ़ क्या करूँ मैं , कान्हा मेरे  कान्हा
मिल जाये जो सहारा , इस कान्हा के लाल को

किस्मत को मेरी रोशन , कर दो मेरे कान्हा
मैं दूंदता फिर रहा, सुनो दिल की पुकार को

प्रेम  में डूबा रहूँ ,  भक्ति में  तेरी कान्हा
मुझे अपना दास कर लो, मुझको मेरे  कान्हा

तुम पुष्प मुझको कर दो, खुशबू बिखेर सकूं मैं 
 ओ बांके  मेरे कान्हा सुनो, दिल की पुकार को

दुनिया के सब सुख फीके, तेरे चरणों में  मन लागे
अनुकम्पा हो जाए तेरी, अनुनय विनय स्वीकार करो

अनुचर हो जाऊं तैरा, सुनो भक्त की पुकार को
कल्पवृक्ष हो जाऊँ प्रभु जी , सुनो माधव मेरी  पुकार को

अहंकार से मुझे बचाओ , अपने चरणों मै मुझे बसाओ
स्वीकार करो इस निर्थन को, लालसा से मुझे बचाओ

अपना भक्त बना लो मुझको, अपने चरणों में रख लो मुझको
अविलम्ब बढ़ता जाऊँ , करो उपकार  मुझ पर

कया सुन रहे हो कान्हा , मेरे दिल की पुकार को
मेरे दिल की पुकार को, मेरे दिल की पुकार को

चरणों मैं जगह दे दो, तेरे दीदार को
क्या सुन रहे हो कान्हा, मेरे दिल की पुकार को


स्वागत गीत

स्वागत  गीत

तन प्रफुल्लित मन प्रफुल्लित, 
आपके सुआगमन से हो गया प्रांगण प्रफुल्लित

वन प्रफुल्लित उपवन प्रफुल्लित 
आपके सुआगमन से हो गए हम सब प्रफुल्लित

पुष्पित हुए कुसुम उपवन के, रोशन हुई सारी फिजायें
आप अतिथि के आगमन से , हो गया कण-कण प्रफुल्लित

'फिजां मैं रौनक लौट आई , हो गया मन हर्षित प्रफुल्लित
है अतिथि तुम्हारे आगमन से , हो गया प्रांगण प्रफुल्लित

पौधे प्रफुल्लित , पुष्प भी प्रफुल्लित , हो गया वातावरण प्रफुल्लित
आप अतिथि देवों के सुआगमन सै , हो गया प्रांगण प्रफुल्लित

पुष्पित हुई सुकामनाएं मन में  सदविचार जागने लगे
आपके सुआगमन सै , ज्ञान के अंकुर मुस्कुराने लगे

खिल उठा हर एक कोना , मन हुए हर्षित प्रफुल्लित
आपके सुआगमन से हो गया प्रांगण प्रफुल्लित

चीर कर अज्ञान का तम , पुष्पित हुई संभावनाएं
खिल गए हम सब के मन , दूर हुई मन से शंकाएं

तन प्रफुल्लित मन प्रफुल्लित,
 आपके सुआगमन से हो गया प्रांगण प्रफुल्लित

वन प्रफुल्लित उपवन प्रफुल्लित
 आपके सुआगमन से हो गए हम सब प्रफुल्लित




Monday 25 January 2016

कवियों की कलम ने कमाल कर दिया

कवियों की कलम कमाल कर दिया 

कवियों की कलम ने कमाल कर दिया.
सामाजिक बुराइयों का काम तमाम कर दिया.

इनके बारे में हमारी विचारधारा है क्यों अलग
इन्होंने ही तो आदम को इंसान कर दिया.

कवियों की जिन्दगी की गाथा भी होती अजब निराती है.
जेब में होते हैं पेन, पर पैसों से होती जेब खाली है.

बार--बालाओं पर मरती दुनिया , कवियों की गलियाँ सूली हैं
रोशन होता जिनसे समाज, उनकी अपनी जिन्दगी अधूरी है

कवि जो न होते तो दुनिया हो जाती वीरानी
चाँद की तारीफ़ फिर कौन करता, सौन्दर्य को पूजता फिर कौन

' कल्पनाओं के समंदर में श्रमण पर ले जाता कौंन , चाँद को इस धरती
पर हमसे मिलवाता कौन
.आदर्शों की महफ़िल की हमको सैर करता कौन , इस दुनिया में कौन है

ग़मगीन, सिसकते चरित्रों के जीवन मैं, , खुशियों की ज्योत जलाता
कौन
प्रकृति के इन खूबसूरत नज़रों से हमें मिलाता कौन, धरती--अम्बर

की बातें गा-..गाकर हमें सुनाता कौन
शिक्षा है जीवन गहना , ये मूल्य हमें समझाता कौन

पुष्पों सा खिलते रहना है , ये बात हमें बताता कौन
कवियों के शब्दों और भाषा में होती , अजब रवानी है.

भावनाओं में बह निकले मन, आँखों से बहता पानी है
कवियों की सोच समाज पर , होती अजब निराली है.

'दिखलाते ये सबको आईना , सामाजिक बुराई पर
इनके क्या कहने ,  इनकी सोच अजब निराली है

कवियों की कलम ने कमाल कर दिया.
सामाजिक बुराइयों का काम तमाम कर दिया.

इनके बारे में हमारी विचारधारा है क्यों अलग
इन्होंने ही तो आदम को इंसान कर दिया.





Saturday 23 January 2016

यादों के झुरमुट से

यादों के झुरमुट से चलो ,कुछ खुशनुमा पल चुरा लायें

यादों के झुरमुट से चलो ,कुछ खुशनुमा पल चुरा लायें

वो गलियों के नज़ारे, वो  बागों की सैर कर आयें

मोहल्ले का वो गार्डन , और मंदिर का वो आँगन

कल – कल कर बहती , नदी के तीर पर नहा आयें

आज भी याद हैं मुझे मोहल्ले की वो गलियाँ

पूछ लें हाल उस बूढ़ी नानी का , चलो नानी का दिल बहला आयें

हाथ में लट्टू और जेब में कंचों की खन – खन

कभी छुपन – छुपाई , तो कभी हाथ में क्रिकेट बैट

वो शर्मा अंकल की घुड़की , तो कभी दादी की झिड़की

गलसुआ झाड़ने वाले रहमान चाचा आज भी याद हैं मुझे

वो मस्जिद की अज़ान, आज भी गूँज रही है मेरे जेहन में

होली की हुड्दंग के नज़ारे आज भी मेरी स्मृतियों में संजोये हुए हैं मैंने

दीपावली पर वो रंग – रोगन और रौशनी के वो नज़ारे आज भी  याद आते हैं मुझे

काश मैं ताउम्र बच्चा ही रहता, पाक – साफ़ दिल से रोशन रहता

इन दुनिया के झमेलों से दूर , बालपन की अठखेलियों में मस्त रहता

 आज भी याद है मुझे  सावन में मंदिर में हर वर्ष होता अखंड रामायण का पाठ का आयोजन

ईद के अवसर पर रहमान चाचा के घर होता विशेष आयोजन

बचपन को बचपन की तरह जीने का वो अवसर आज भी याद है मुझे

पढ़ाई का ज्यादा बोझ न था , घर में हाथ बंटाने की जिम्मेदारी ज्यादा थी

हर वर्ष ग्रीष्म अवकाश में नाना -  नानाजी के घर का भ्रमण रोचक हुआ करता था

एक के बाद एक नयी ट्रेन बदलकर तीन दिन की यात्रा के बाद नाना – नानाजी के घर को पहुंचा करते थे हम

ट्रेन की यात्रा का वो आनंद आज भी रोमांचित करता है मुझे

रेलवे स्काउट्स – गाइड्स की गतिविधियों ने जीवन को एक नयी दिशा दी

कभी रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को पानी पिलाना, तो कभी किसी स्वास्थ्य शिविर में जाकर सेवायें देना

एक विशेष बात जो हमारे घर में सभी भाइयों के जीवन का हिस्सा थी

वह था जन्म दिवस और नव वर्ष या किसी त्यौहार विशेष पर ताऊ – ताई, चाचा – चाची , दादा – दादी , माता – पिता का आशीर्वाद लेने की परम्परा

आशीर्वाद की पूँजी ही आज के वर्तमान सुखी जीवन का आधार बन सकी

एक कवि, एक शायर, एक लेखक के जीवन को उन क्षणों ने ज्यादा प्रभावित किया

सामाजिकता , परम्पराओं का निर्वहन , संस्कृति और संस्कारों के प्रति आस्था

बालपन की दैनिक गतिविधियों केर माध्यम से

संचित की पूँजी के प्रतिफल के रूप में आज मेरे सामने है

सभी बन्धुगणों, मित्रगणों को कोटि – कोटि धन्यवाद   









Friday 15 January 2016

लोगों को हँसाना ख़ुशी देता है

लोगों  को हँसाना ख़ुशी देता है


लोगों को हँसाना खुशी देता है 
 रूठे को मनाना ख़ुशी देता है

पालने के बालक का मुस्काना ख़ुशी देता है 
 किसी गिरते को उठाना ख़ुशी देता है.

'परम्पराओं को निभाना खुशी देता है , 
संस्कारों को संजोना खुशी देता है.

आदर्शों  से जीवन को सजाना खुशी देता है , 
सत्य की राह पर जाना ख़ुशी देता है.

किसी अंधे को राह दिखाना ख़ुशी देता है, 
किसी भटके को राह दिखाना ख़ुशी देता है.

पौधों , फूलों से बात करना खुशी देता है, 
प्रकृति का साथ निभाना ख़ुशी देता है.

फूलों का महकना खुशी देता है, 
पक्षियों का चहचहाना  खुशी देता हैं.

माँ के आँचल में  समाना खुशी देता है ,
 पुस्तकों से साथ निभाना ख़ुशी देता है

सामाजिक बन्धनों   में बंध  जाना ख़ुशी देता है, 
प्रेयसी  के मोह पाश में बंध जाना ख़ुशी
देता है

माता--.पिता के चरणों में जीवन पाना ख़ुशी देता है, 
गुरु के प्रत्रि कर्तव्य निभाना ख़ुशी देता है.

राष्ट्र हित मर जाना खुशी देता है, 
किसी रोते को हँसाना खुशी देता है.

किसी की सिसकती सॉँसों के जीवन में उजाला करना ख़ुशी देता है , 
किसी की अँधेरी रातों में उजाला करना ख़ुशी देता है

इंसानियत की राह पर चलना ख़ुशी देता है,
 मानव के  मानव होने का एहसास ख़ुशी
देता है

खुद को रुलाकर किसी को हँसाना खुशी देता है , 
किसी के जीवन को रोशन करना खुशी देता है

लोगों को हँसाना खुशी देता है 
 रूठे को मनाना ख़ुशी देता है

पालने के बालक का मुस्काना ख़ुशी देता है 
 किसी गिरते को उठाना ख़ुशी देता है.







कदम बढ़ाने की जरूरत है

कदम बढ़ाने की जरूरत है


कदम बढ़ाने की जरूरत है , कुछ गुनगुनाने की जरूरत है

मुसीबतों के इस दौर मैं , थोड़ा सा मुस्कुराने की जरूरत है.

मंजिल पानी है तो, कुछ प्रयासों के निभाने की जरूररत है.

जीना है यहाँ कुछ पल  तो , रिश्तों को निभाने की जरूरत है.

पाना है गर खुदा को तो, इश्के-इबादत मैं डूब जाने की जरूररत है.

खिलाने हैं गर कुछ फूल इस गुलशन में तो , किसी के प्यार मैं हूब जाने की
जरूरत है.

चंद प्रयासों से रोशन होती नहीं फिजां , प्रयासों की गंगा बहाने की जरूरत
है

जीना है गर खुली हवा में तो, प्रकृति से साथ निभाने की जरूरत है

जाना है सागर पार तो, कोशिशों की नाव मैं बैठ जाने की जरूरत है.

खिलाने हैं कुछ आदर्श तो, संस्कृति और संस्कारों पर मिट जाने की जरूरत
है

लेखन को बनाना है गर जिन्दगी का सबब, तो विचारों मैं डूब जाने की
जरूरत है

'कहलाना है गर शहीद तो, देश पर मर मिटने की जरूरत है



Thursday 14 January 2016

सत्य

 सत्य  

सत्य के एक छोर पर पुरुष है, तो दूसरे छोर पर स्त्री
सत्य के एक छोर पर पौरुष है, तो दूसरे छोर पर स्त्रीत्व

सत्य का एक छोर जीवन से सम्बद्ध , तो दूसरा मृत्यु से
सत्य का एक छोर बालपन की चंचलता , तो दूसरी ओर
वृद्धावस्था का बालहठ

सत्य का अपना आरम्भ, सत्य का अपना अंत
सत्य न तो कभी हारता है न जीतता

सत्य का अपना धरातल , सत्य का अपना चरम
सत्य का अपना सफ़र, सत्य की अपनी ही मंजिल

सत्य का अपना कड़वापन, सत्य की अपनी कठोरता
सत्य , सत्य से पोषित, सत्य की अपनी कटुता

सत्य, संस्कारों से पोषित, सत्य आदर्शों का पर्याय
सत्य का अपना ही राग, सत्य का अपना ही अलग संगीत

सत्य के मायने हज़ार, सत्य की मंजिल एक
सत्य की अपनी ही कांति, सत्य की अपनी ही गति

सत्य की अपनी ही सामर्थर्य, सत्य का अपना वर्चस्व
झूठ क्या डराए सत्य को, सत्य की संकल्पना अनेक

सत्य का अपना झरोखा, सत्य का अपना आशियाँ
सत्य को  क्गाया डिगायेगा कोई, सत्य का अपना किनारा

सत्य का अपना ही दर्शन, सत्य की अपनी ही माया
सत्य का अपना ही मनोविज्ञान, सत्य की अपनी ही दिशा

सत्य का अपना देवालय, सत्य का अपना गुरद्वारा
सत्य का अपना अलग चर्च , सत्य का अपना मस्जिद

सत्य का अपना आवरण, सत्य प्रभावित न होता
सत्य जीवन का देव मंदिर, सत्य आत्मा को पुष्पित करता

सत्य की अपनी ही नाव, सत्य का अपना ही नाविक
सत्य का अपना ही परिणाम, सत्य की अपनी ही सजीवता

सत्य  की स्वयं की अदालत, सत्य स्वयं का न्यायाधीश
सत्य की स्वयं की परिधि, सत्य की स्वयं की पावनता

सत्य कभी पराजित नहीं होता, सत्य स्वयं से पुरस्कृत
सत्य की स्वयं की पाठशाला, सत्य के स्वयं के शिक्षक

सत्य का अपना ही गुलशन, सत्य का अपना ही उपवन
सत्य की अपनी ही प्यास, सत्य का अपना ही जलपात्र

सत्य की महिमा को जानो, सत्य के अम्बर को पहचानो
सत्य बसता मेरे हृदय मैं, सबके हृदय में
सत्य की कोमल मुस्कान, कोमल हृदय को पहचानों

सत्य के एक छोर पर पुरुष है, तो दूसरे छोर पर स्त्री
सत्य के एक छोर पर पौरुष है, तो दूसरे छोर पर स्त्रीत्व

सत्य का एक छोर जीवन से सम्बद्ध , तो दूसरा मृत्यु से
सत्य का एक छोर बालपन की चंचलता , तो दूसरी ओर
वृद्धावस्था का बालहठ






Wednesday 13 January 2016

खुशियों का गर संसार बसाना है

खुशियों का गर संसार बसाना है

खुशियों का गर संसार बसाना है.
जीवन को संस्कृति . संस्कारों से सजाना है.

प्रयासों को जीवन का मर्म बनाना हैं
'गर जिन्दगी को सपनों से सजाना है.

जीवन को गर उत्कर्ष मार्ग पर ले जाना हैं
जिन्दगी मैं तृष्णा , कामना, अभिलाषा  पर काबू पाना है

जीवन को गर अभिनन्दन राह पर ले जाना है.
जीवन मैं केवल सद्धिचार, और आदर्श को बसाना है.

जिन्दगी को गर अहंकार के दावानल से  बचाना है.
जीवन मैं सहिष्णुता और सदाचार को अपनाना हैं

जिन्दगी मैं गर आत्मविश्वास पाना है.
जिन्दगी मैं अर्थपूर्ण प्रयासों की गंगा बहाना है.

जिन्दगी को गर देश हित बलिदान करना है.
जिन्दगी को धर्म से ऊपर उठ देश हित मरना है.

जिन्दगी को गर राष्ट्रहित  , नवरत्र से अलंकृत करना हैं.
जिन्दगी को सम्पूर्ण रुप से देश हित कर्तव्य करना है.

जिन्दगी को गर सलिला सा पावन हो बहना है.
जिन्दगी को केवल आदर्शपूर्ण रहीं से हो गुजरना हैं.

जिन्दगी को गर उपवन सा खिलना है.
जीवन को केवल और केवल कोमल वाणी रुपी पुष्पों  से सीचना हैं

खुशियों का गर संसार बसाना है.
जीवन को संस्कृति . संस्कारों से सजाना है.

प्रयासों को जीवन का मर्म बनाना हैं
'गर जिन्दगी को सपनों से सजाना है.


साईं तेरे दरबार की रौनक है निराली


साईं तेरे दरबार की रौनक है निराली

साई तेरे दरबार की रौनक है निराली
जो भी तेरे दर पे आता, जाता नहीं है खाली

साई तेरे दरबार की महिमा है निराली.
होती हैं मुरदें पूरी , झोली रहती नहीं खाली.

साईं तेरी महिमा का कोई अंत नहीं हैं
तुझ जैसा इस धरती में कोई संत नहीं है.

तेरी दयादृष्टि  की हम पर हो कृपा
एक तेरे करम  से से पूर्ण हो अभिलाषा 

साईं हो तुम दयालु . तुझसे है दुनिया रोशन
 तेरे करा से साईं, भाग्य हो मेरा रोशन 

जन्नत करदे आशियाँ मेरा, मैं रहूँ  न सवाली.
मैं जी रहा हूँ, तेरे करम से मेरे साईं

तेरी इबादत हो जाए धरोहर मेरी , ऐ मेरे साई
करना रक्षा प्रभु मेरी , हो जाऊं तेरा पुजारी

दीदार मुझको तेरा जो हो जार नसीब
चरणों मैं तेरे पड़ा हूँ. रोशन हो मेरा नसीब

साईं तो साई एक है. सबका रखवाला
एक तैरे दम से चमके, घर का मैरे आला

दामन मैं तेरे मुझको, दीदारे जन्नत हो
कुछ तो ऐसा कर दे. भाग्य  मेरा रोशन हो

साई तेरे दरबार की रौनक है निराली
जो भी तेरे दर पे आता, जाता नहीं है खाली



Friday 1 January 2016

करम मुझ पर करो मौला - द्वारा - अनिल कुमार गुप्ता पुस्तकालय अध्यक्ष केंद्रीय विद्यालय फाजिल्का

करम मुझ पर करो मौला


करम मुझ पर करो माला, दिल की पीर कम हो जाए

जहां से भी मैं गुजरूँ, रोशन नज़ारा हो जाए


अजब शखिसयत के मालिक, अजाब से बचाकर रखना

अकबर है तू मेरे खुदा, मेरी इबादत को अमानत करना

तेरी आगोश में बीते हर पत्र , मेरी हर एक कोशिश पर करम

करना

तू आदिल है मैं जानता हूँ ये, मुझे इंसानियत अता कर माला

तेरे नाम को एहसासे जिन्दगी कर लूं, मेरे मौला मुझ पर

इतना करम करना

तेरा आसरा जो मित्र जाए मुझे , रोशन हो शख्सियत मेरी

मौला

तेरे इख्तियार में है मेरी जिन्दगी या रब, पनाह में रख या

छोड़ दे मुझको

तुझ पर है एतबार मुझे, अपनी दया का करम मुझ पर करना

जिन्दगी को मेरी किनारा नसीब करना, मंजिल अता करना


तेरे कायदे कुबूल मुझको ऐ मेरे खुदा, अपना बनाकर मुझकों रखना

मैं खुशनसीब हूँ तेरे करम से मौल्रा, अपना शागिर्ट बनाकर रखना

मुरीद हो गया हूँ मैं तेरा मौला, अपने दर का चिराग कर माँला

कभी जो डूबने लगूं तो सहारा देना, जो अटक जाऊं तो संभात्र लेना

ख्वाहिश है मेरी ऐ मेरे खुदा , अपनी पनाह में ताउम्र रखना

तेरे करम से गुजारा हो रहा मेरा, गुजारिश है अपनी रजा में मुझको

रखना

गुलशन में गुलाब बन के खिलूँ , मेरी इस ख्वाहिश को अपनी ख्वाहिश

करना

शायरों की भीड़ में मुझे गालिब सा करना, इबादत में मुझे अपनी लेना

जवाहर हो रोशन हो नाम मेरा , हर हाल में अपनें करम का साया

रखना