Tuesday 22 December 2015

मनोरम तेरा रूप - मुक्तक

1.

मनोरम तेरा रूप
स्वस्थ तेरे विचार हो जायेंगे
गर तू संकल्प मार्ग को
जीवन का ध्येय कर लेगा


२.

विलासिता की राह पर चलकर
कभी सपने साकार नहीं होते
भटक जाते हैं वो राही 
जिनके मंजिल की दिशा में पाँव नहीं होते


3.

आधुनिकता के सांचे में जो ढल जाओगे,
 फिर आदेशों की गंगा कैसे बहाओगे

बना लोगे जो पाश्चात्य विचारों से नाता, अपनी
संस्कृति और संस्कारों से दूर हो जाओगे







मेरी साँसों से अपनी साँसों को

मेरी साँसों से अपनी साँसों को

मेरी साँसों से अपनी साँसों को ,मिलाकर तो देख
दो पल  के लिये ही सही , मेरी बाहों में आकर तो देख

खूबसूरत है ये दुनिया, करना कोई गुनाह नहीं
दो पल के लिए ही सही, मुझको अपना बनाकर तो देख

इश्क के चाहने वालेको, अपने इश्क का खुदा बनाकर तो देख
दो पल  के लिए ही सही, खुद को मुझ पर मिटाकर तो देख

मुझे मालूम है कि तुझे, इन दो पलों  के चरम का एहसास नहीं
इन दो पलों के लिए ही सही, खुद को मुझ पर लुटाकर तो देख

अजनबी नहीं हूँ मैं तेरे लिए, मुझ पर एतबार करके तो देख
दो पल के लिए ही सही , खुद को मेरी कहलाकर तो देख

तेरे इश्क में हमने खुद को किया कुर्बान, दो पल  के लिए ही सही नज़रें
मिलाकर तो देख
दो पल  के लिए ही सही , खुद को मुझ पर निसार करके तो देख

मैं जानता हूँ तू है खूबसूरती का वो नजारा , जिसे हम क्या बयाँ करें -
दो पल के लिए ही सही, अपने हुस्न का नज़ारा हमें कराकर तो देख

आदमियत है तुझमे, नेकदिल है तू, यूं न कर हमसे किनारा
दो पत्र के लिए ही सही , इस आशिके-आवारा का सहारा बनकर तो
देख

तेरी आरज़ू मेरा ईमाने--इश्क , तुझसे सिवा मुझे कोई कुबूल नहीं
दो पल  के लिए ही सही, इस दीवाने - दिल की पुकार तो सुनकर तो
देख

आबाद और बर्बाद भी हुए हैं इस इश्क की चाहत में इश्क के परवाने
दो पल के लिए ही सही , इस दीवाने की रुखसती आकर अपनी आँखों
से देख


मेरी साँसों से अपनी साँसों को ,मिलाकर तो देख
दो पल  के लिये ही सही , मेरी बाहों में आकर तो देख

खूबसूरत है ये दुनिया, करना कोई गुनाह नहीं
दो पल के लिए ही सही, मुझको अपना बनाकर तो देख


मेरे दिल के मन मंदिर में , आओ साईं बस जाओ मेरे साईं

मेरे दिल के मन मंदिर में , आओ साईं बस जाओ मेरे साईं

मेरे दित्र के मन मंदिर में . आओ साईं बस जाओ मेरे साई
निहुर न होना मेरे साईं . आकर मुझको राह दिखाओ मेरे साईं

हम सबके देव साईं , कष्टों  को दूर भगाओ  मेरे साई
अभिलाषा प्रभु दर्शन की, ऐसे सबके भाग्य जगाओ मेरे साई

करम करो मेरे साईं . अहंकार से हमें बचाओ मेरे साईं
चरण कमल तेरे बलि--बलि जायें . हमको तुम अपनाओ साई मेरे साईं

चमत्कार तेरे हमें रिझावें, सच की राह पर हमें बढ़ावें  मेरे साई
इकबाल बुलंद करना मेरे साई. मेरे आशियाँ को अपना दर बनाओ साई मेरे साईं

इंसान बनाए रखना हमको. चरणों में जगह देना हमों मेरे साई
तेरी महिमा का अंत नहीं मेरे साई . बालक समझकर अपनाओ मेरे साईं

बुराई से बचाना तुम साईं, सज़ा से बचाना तुम साईं मेरे साईं
उम्मीद का दामन न छूटे,  इतना एतबार जागो साईं मेरे साई

खिदमत में तेरी रखना साई. चश्मों---चिराग करों मुझको
काबिल करना मेरे साईं मुझको . किस्मत के सितारे चमकाओ मेरे साईं

तेरी कृपा का प्रसाद मिले हमको. तेरे चरणों का साथ मिल्ले हमको मेरे साई
तुम ठाकुर हो साई हमारे, रोशन भाग्य करो साई मेरे साई

मेरे आशियाँ को अपना आशियों बना तो. रहस्य जीवन के बताओ साई मेरे साई
कुबूल हमारी दुआ करो साईं. अपनी कृपा की छाया में रखो साईं मेरे साईं

कुसूर हमारे क्षमा करो साईं , खिदमत में अपनी रखो साई मेरे साई
ख्वाहिशों को मेरी अंजाम दो , अपनी डबादत मैं गिरिफ्तार करो साईं मेरे साई





चंद रोज़ पहले ही उनसे मुलाक़ात हुई - मुक्तक

१. 


चंद रोज़ पहले ही उनसे मुलाक़ात हुई
नज़रों से नज़रें मिलीं, पर न कोई बात हुई

कछ हमारी धड़कनें बढ़ीं , कछ उनका दिल बेकरार हुआ
तमन्ना जवां हुई , नज़रों से दिल की बात हुई

२.

वो भी करार हुए हम भी बेकरार हुए
दिल से दिल कीं राह मिली , हमारी मुलाक़ात हुई

उनको हमारी मुहब्बत पर गुमान था
न जाने दुनियां को हमारी ये मुहब्बत न रास हुई

3.


प्यार के उन लम्हों को न भूलेंगे हम
चाँद की रोशनी में मिले थे हम

बाहों मे बाहें , लबों पर लब थे
उन एहसासों को यूं न भूलेंगे हम

4.


उनकी आँखों की बेकरारी को महसूस किया था हमने
उनकी साँसों की आहट को छुआ था हमने

दिल से दिल को मिली थी राह नयी
चंद रोज पहले ही उनसे मुलाक़ात हुई


5.



शी एहसासे - मुहब्बत की बातें , कया बताएं हम
आँखों से दिल में उतर मुहब्बत का खुदा कर दे

उनके दिल की धड़कन ने उसे, खुद से किया रूबरू
होठों पर रोशन मुस्कान हुई , दिल से दिल की बात हुई


आशियाने यूं ही रोशन हुआ नहीं करते


आशियाने यूं ही रोशन हुआ नहीं करते

आशियाने यूं ही रोशन हुआ नहीं करते
अपने आशियाँ को प्यार की महक से सींचकर देखो

गुलशन फूलों के यूं ही खुशबू बिखेरा नहीं करते
फूलों के बीच . काँटों से भी रिश्ता बनाकर देखो

किस्मत के सितारे यूं ही रोशन हुआ नहीं करते
संकल्प को जीवन का उद्देश्य बनाकर देखो

यूं ही मुसीबतों से घबराना नहीं है तुमको
कोशिशों को अपने सफ़र का साथी बनाकर देखो

अभिनन्दन की राहें यूं ही रोशन हुआ नहीं करतीं
किसी पुण्य आत्मा को अपना गुरु बनाकर देखो

रोशन नहीं होते यूं ही खुशियों के बाज़ार
उस खुदा से पाक रिश्ता बनाकर देखो

यूं ही नहीं खिलती नन्हे चेहरे पर मुस्कान
नन्‍्ही सी रूह को खुदा का रूप समझकर देखो

रोशन यूं ही नहीं होती आदर्शों की फिजां
संकल्प की राह को जिन्दगी का मकसद बनाकर देखो

यूं ही नहीं होती संयम से जिन्दगी रोशन
स्वस्थ विचारों की पूँजी से खुद को सजाकर देखो

सम्मान की राहें यूं ही आसां से नहीं होती रोशन
कर्म की राह को अपनी जिन्दगी की धरोहर बनाकर देखो






फूलों की खुशबू से जहां को - मुक्तक

१.


फूलों की खुशबू से जहां को
जो महकाना सीख लोगे तुम

तेरी स्वयं की जिन्दगी , पुष्पों की मानिंद
खुशबू से हो जायेगी रोशन


२.



भरोसा जो तेरा उस आसमानी खुदा के
ऊपर से उठा जाएगा

जहन्नुम हो जायेगी जिन्दगी तेरी
तेरा सेब कुछ बिखर जाएगा


3.



अपने धर्म के प्रति तेरे मन में
जो विश्वास जाग जाएगा

पुश्तें तेरी तर जायेंगी
भाग्य तेरा रोशन हो जाएगा


4.


. मर्यादित जो तेरे विचार हो जायेंगे
सत्यनिष्ठ तू जो हो जाएगा

जीवन का हर एक पत्र तेरा रोशन होगा
तू अभिनंदन मार्ग पर प्रस्थित हो जायेगा

किया न तुमने जो भरोसा उस ईश्वर पर

१.


किया न तुमने जो भरोसा उस ईश्वर पर, जिन्दगी
को बीह मझधार पाओगे

चलोगे जो राह संस्कारों से पोषित, तो जीवन को
उत्कर्ष राह पर पाओगे



२.


विलासिता को जो जीवन का लक्ष्य बनाओगे, अभिनन्दन
की राह से भटक जाओगे

लगा लोगे दिल जो प्रभ के चरणों में , इस मानव जीवन |
से मुक्त हो मोक्ष राह की पाओगे


3.

का पर खड़े होकर, मंजिलों के दीदार नहीं
बिना प्रयासों के मुसीबतों के दरिया पार नहीं होते

परेशानियों के इस दौर मैं खुद को संभालकर रखना
 अनजानी डगर पर चलकर, खुदा के दीदार नहीं


4.

खामोश रहकर 
दिल के ज़ज्बात बयाँ नहीं  होते 

जज्बातों को दबाकर रखने से
इश्क़ के दरिया पार नहीं होते 


Monday 21 December 2015

किसी की अँधेरी जिन्दगी में - मुक्तक

१.


किसी की अँधेरी जिन्दगी में , 
खुशियों का उजाला करके देखो

तेरे एक प्रयास से , खूबसूरत हो जायेगी
किसी की जिन्दगी यारों


२.


निरर्थक बातों से स्वस्थ विचार नहीं होते

बिना कोशिशों के मुसीबतों के दरिया पार नहीं होते


3.


अर्थहीन प्रयासों से मंजिल के दीदार नहीं होते

डूब जाती  है नौका उनकी, जिनके दिल से प्रयास नहीं होते 


4.


परिश्रम को जो बना लेते हैं , अपनी मंजिल का हमराही

कोशिशें रंग लाती हैं , मंजिलें होती हैं प्रयासों के निशाँ



खूबसूरती

खूबसूरती

मन मंदिर से उपजा एक एहसास है खूबसूरती

खूबसूरती आँखों से होकर दिल में बस जाने की एक चाह

खूबसूरती जो कवि की कविता को सौन्दर्य से अलंकृत कर दे

खूबसूरती जो शब्दों में पिरोकर बयाँ की जाए तो ग़ज़ल हो जाए

खूबसूरती का एहसास जब महफ़िल को रोशन करने लगे तो वह शायर के दिल की आवाज़ हो जाए

खूबसूरती सौन्दर्य से परिपूर्ण सरिता की कल – कल करती अनवरत बहती धरा का नाम है

खूबसूरती जो जंगल के शांत वातावरण में पक्षियों का संगीत बन उभरे

खूबसूरती जो सुन्दर तन की मोहताज नहीं

खूबसूरती जो पालने में झूला झूलते नवजात शिशु की मुस्कान का एहसास है

खूबसूरती जो एक प्यासे को खुशबू से भरे जल पात्र की और मुखरित करे

खूबसूरती कहीं दो सुन्दर नेत्रों का एहसास तो कहीं इठलाती मदमस्त चाल से सभी को लुभाती

खूबसूरती मन के किसी कोने में प्रेम का एहसास जगाती तो कहीं प्रेम में इंतज़ार का एहसास होती

खूबसूरती प्रकृति के आँचल में बसती हरियाली का पर्याय होती

खूबसूरती कहीं दूर बादलों की ओट में पहाड़ों पर बर्फ की चादर होकर सभी को अपनी और आकर्षित करती
खूबसूरती के अपने पर्याय हैं

मानव मन की खूबसूरती के मायने अलग – अलग हैं
कहीं खूबसूरती पर तन हावी हो जाता है तो कभी मन

खूबसूरती तेरी आंखें बयाँ करैं तो हो जाती है दिल की धड़कन बेकरार

तेरा हुस्न की खूबसूरती हो जाती है इश्क और मुहब्बत का आगाज़
 



मेरे सपनों का भारत

मेरे सपनों का भारत

मेरे सपनों का भारत , काश !
तीन सौ वर्ष पूर्व की गंगा सा पावन, निर्मल होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
आज भी सोने की चिड़िया कहलाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
आज भी रामराज्य की संकल्पना को साकार करता

मेरे सपनों का भारत , काश !
भाईचारे के  पावन रिश्ते से परिपूर्ण होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
पुनः संत समाज के मानवतावादी व धार्मिकतावादी विचारों से ओतप्रोत होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
राजभाषा हिंदी को विश्व पटल पर सम्मानित करता

मेरे सपनों का भारत , काश !
राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों का गढ़ न होकर
राष्ट्र को समर्पित चरित्रों का आशियाँ हो जाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
भ्रष्टाचार से मुक्त एक मानवतावादी विचार से संपन्न राष्ट्र होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
आधुनिक विचारों से प्रभावित न होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
संस्कृति और संस्कारों की गंगा बहाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
आध्यात्म और जीवन जीने की कला से परिपूर्ण एक संगम होता
भौतिकतावाद से ऊपर उठ आध्यात्मवाद का केंद्र हो पाता

मेरे सपनों का भारत , काश !

ऋषियों – मुनियों के सद विचारों से पुष्पित होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
स्वयं को क्षेत्रीयतावाद , धार्मिकता , सम्प्रदायवाद से ऊपर उठ
प्रजातंत्र को जीवंत रख पाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
काले धन के चोरों की शरण स्थली न होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
कवियों के रक्त से लिखी मानवतावादी विचारों से परिपूर्ण
कविताओं से पुष्पित होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
गाँधी, विवेकानंद , टैगोर के विचारों को जीवंत रख पाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
आदर्शों , संस्कारों को संजोकर रख पाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
आधुनिक दूषित विचारों से स्वयं को बंधन मुक्त रख पाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
देवालयों , मंदिरों की घंटियों की ध्वनि से पावन होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
चर्चों , मस्जिदों , गुरद्वारों के पावन विचारों की धरोहर होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
कोई भी देश में कुपोषण का शिकार न होता
कोई भी भूख से न मरता

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां बालपन बाल मजदूरी को बाध्य न होता
काश वह शिक्षा उपवन की रौनक होता

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां की मिटटी की भीनी – भीनी खुशबू
जीवन की बगिया को पुष्पित करती
शिक्षा के मंदिर देवालयों से पूजे जाते
जहां शिक्षक वृन्द देवतुल्य हो जाते

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां किसान को अन्नदाता समझा जाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
काश पावन जल से परिपूर्ण कालिंदी को सिंचित कर पाता
जहां गंगा, निर्मल- पावन होकर कल – कल कर बहती , जीवन प्रदान करती

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां बालपन अठखेलियाँ करता
परम्परागत साधनों से बालपन को सींचता , पुष्पित करता

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां भ्रष्ट आचरण को तनिक भी स्थान न मिलता ,
सद विचारों की गंगा बहती

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां घर – घर में राम के आदर्श पल्लवित व संस्कारित होते
गौतम बुद्ध , विवेकानंद, नानक, रामकृष्ण के धार्मिक
विचारों को शिक्षण संस्थाओं का संरक्षण प्राप्त होता और
वे इन विचारों के सर्वश्रेष्ठ प्रचारक होते

मेरे सपनों का भारत , काश !
जहां घर , मकान न होकर मंदिर हो जाते
रिश्तों की मर्यादा , समाज का पूँजी होती

मेरे सपनों का भारत , काश !
सबकी आँखों का नूर होता
काश ! सबके दिलों पर राज़ करता
काश ! भारत, भरत के आदर्शों की पूँजी सहेज पाता

मेरे सपनों का भारत , काश !
मेरे सपनों का भारत , काश !

मेरे सपनों का भारत , काश !

Thursday 17 December 2015

वक़्त के समंदर से

वक़्त के समंदर से

वक़्त के समंदर से दो बूँद , प्रयासों की चुराकर देखो
रोशन हो जायेगी , शख्सियत तेरी

आईने के सामने दो पल के लिए , खुद को निहारकर देखो
तेरी जिन्दगी , खूबसूरती का आइना हो जायेगी

वक़्त का इंतज़ार . क्‍यों करे » अंजुम ”
वक़्त की कदर न की तो , जिन्दगी तेरी फना हो जायेगी

वक़्त के दरिया में , कुछ पल तैरकर देखों
जिन्दगी मंजिल की ओर , चंद कदम और बढ़ जायेगी

अपने प्रयासों को , वक़्त की कसौटी पर तौलकर देखो
जिन्दगी तेरी अभिनन्दन मार्ग की ओर , प्रस्थित हो जायेगी

वक्‍त के साथ दो पल , कोशिशों के बिताकर देखो
उत्कर्ष की राह , तेरी जिन्दगी का मकसद हो जायेगी

वक़्त के अपने प्रयासों से , अपने अनुकूल बनाकर देखो
तेरे हर एक प्रयास को , मंजिल मिल जायेगी

जीवन के अंधकारपूर्ण पलों में , कोशिशों की लौ जलाकर देखो
जिन्दगी तेरी सफलता के , मुकाम तक पहुँच जायेगी

आत्मविश्वास को , अपने प्रयासों की पूंजी बनाकर देखो
सफल होंगे तेरे प्रयास, मंजिल तेरे क़दमों में आ जायेगी

अपने संस्कारों को, आदर्शों को जीने का आधार बना कर देखो
जिन्दगी शोभनीय से , अतिशोभनीय हो जायेगी


चंद काफिये क्या बयाँ करें , तुझको ऐ मेरे खुदा

चंद काफिये क्‍या बयाँ करें , तुझको ऐ मेरे खुदा

चंद काफिये क्या बयोँ करें .तुझको ऐ मेरे खुदा
तेरा हर एक करम बयोँ करे . तुझकों ऐ मेरे खुदा
काब्रिल है तू तेरे करम से . रोशन हो रही है फिजां
तेरी इनायत तेरा ज़माल बयाँ करे तुझको ऐ मेरे खुदा

तेरी जियारत . तेरा हज मेरे मौला. नसीब हो मुझको
मेरी तरक्की. मेरी ख्वाहिशों को . रोशन कर ऐ मेरे खुदा
तारीफ़ तेरी लफ़्ज़ों की मोहताज़ . नहीं मेरे माला
उम्मीद का दामन न छूटे . इश्के--डबादत अता कर ऐ मेरे खुदा

नादानी . जो हो जाए . तो माफ़ करना मुझको ऐ मेरे खुदा
अपनी आँखों का नूर कर . राहे--इंसानियत अता कर मुझको ऐ मेरे खुदा
नॉबहार आया कि जन्नत करों आशियाँ को मेरे
खिले हर एक चेहरा . मेरी मुरादों को अंजाम दो ऐ मेरे खुदा

मुहब्बते--इबादत को मेरी .जिन्दगी का मकसद कर ऐ मेरे खुदा
मेरा ईमान मेरी अमानत हो जाए ऐ मेरे खुदा
तेरे ऑचल के साए में . मेरी जिन्दगी परवान चढ़े
हर एक शख्श अपने वादे--ऐ--इंसानियत पर खरा उतरे ऐ मेरे खुदा

चंद सिक्कों की खातिर, इंसानियत बदनाम न हो
किसी ईमान पसंद शख्श का ईमान बदनाम न हो
इमारत इबादत की ज़र्ज़र न हो ऐ मेरे खुदा
हर एक शख्श तेरा मुरीद हों. उसका इम्तहान न ले मेरे खुदा



Wednesday 16 December 2015

जोशे दिल में हो वतन परस्ती का ज़ज्बा

जोशे दिल में हो वतन परस्त्ती का ज़ज्बा

जोशे--दिल में हो वतन परस्ती का ज़ज्बा
जियें तो वतन की खातिर , मरें तो वतन की खातिर

दैखें जो घूरकर तो बाहर कर दैं आंखें उसकी
खेलें वो जो खूं की होली तो धरती को दुश्मन के खूं का कर दें समंदर

चीर कर रख दे , अंतड़ियां निकालकर बाहर रख दें
बुरी नीयत से जो घुस आये हमारे देश के औतर

गाजर--मूली की तरह, चौरकर रख देंगे दुश्मनों को
जो आँख उठाकर भी देखे हमारी धरती पर

सौँगंध मादरे--वतन की , खुद को तुझ पर कर दैंगे कुर्बान
जियेंगे तो बीर होकर, मरेंगे तो परमवीर होकर

करेगे नहीं शहीदों की कुर्बानियों को निराश
संभाल कर रखेंगे तुझको ऐ दतन, आने वाली पीढ़ियों की खातिर

ज़माना मेरे वतन को कमजोर समझने की भूल न करे
यूं ही नहीं जानते हमें लोग, विश्व शांति की खातिर

दुश्मनों को दिखाया हमने , वतन परस्ती का ज़ज्बा
यूं ही नहीं कुर्बान करते खुद को , वतन की खातिर

इस गुलशन को दुश्मनों की नज़र से बचाए रखना ऐ मेरे खुदा
इस आशियों को रोशन करना, दुनिया की खातिर

इकबाल बुलंद हो मेरे वतन का ऐ मेरे खुदा
इसे मानवता का मसीहा करना , इंसानियत की खातिर