Sunday 22 January 2012

वह अनाथ बालक

वह अनाथ बालक
टोह में जीवन की
चला जा रहा है
उन अँधेरी गलियों में
जो जीवन का पता
बताने में सक्षम हैं

उसके मन में
जीवन जीने की
अथाह चाहत और
कुछ कर गुजरने का पागलपन
उसे इस राह पर
कुछ उम्मीद से ले आया है

साहस का दमन पकड़
कुछ कह सकूं
इस असभ्य समाज से
जो कुछ देने से पहले
दस बार सोचता है
दस बार तोलता है

वह कहता है
इसमें समाज का कोई दोष नहीं
लोगों के व्यवहार ने
स्वयं की हार ने उसे
इस तरह सोचने को 
विवश किया है

पर बालक का जूनून
उसे एकला चालो रे
के पथ पर  आगे
बढ़ने को प्रेरित करता है

राह पर बढ़ते चलो
मंजिल मिल ही जायेगी
साथी मिलें न मिलें
राह खुद ब खुद बन जायेगी

जरूरत है कदम बढ़ाने की
उस और जाने की
जहाँ चाँद मिलता है
जिसकी रोशनी में
सारा जग दमक उठता है

वह बढ़ता जा रहा है
आसमां उसके करीब
वह दूसरों के लिए
पथ प्रदर्शक बन गया है
जीवन उसका संवर गया है
यह कुछ और नहीं
परिश्रम व लगन की कहानी है
हर सफल व्यक्ति की जुबानी है
उनकी ही कहानी है



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