Monday 25 April 2011

जाग मुसाफिर

                                    जाग मुसाफिर
जाग मुसाफिर सोच रहा क्या
जीवन एक राही के जैसा
कहीं शाम तो कभी सवेरा
कहीं छाँव तो धूप कहीं है
बिखरा-बिखरा सा सबका जीवन
चलते रहना चलते रहना
रुक ना जाना आगे बढ़ना
जाग मुसाफिर सोच रहा क्या
राह कठिन हो भी जाए तो
हौसले का दामन पकड़ना 
चीर कर मौजों की हवाओं को
तुझे है मंजिल पार जाना 
रुकना तुझे नहीं है
न ही तुझे है घबराना 
चलना तेरी नियति है
रुकना है तुझको मंजिल पर
कभी गर्म हवाओं से लड़कर
कभी सर्द का कर सामना
आएगी बाधाएं रोड़ा बनकर
पीछे  मुड़  कभी न देखना 
जाग मुसाफिर सोच रहा क्या 
जीवन एक राही के जैसा 
कभी शाम तो कहीं सवेरा
राह में पल - पल ठोकर होंगी
पैरों के छाले बन नासूर सतायेंगे 
चूर- चूर  होगा तेरा तन
 मन भी तेरा साथ न देगा
रात की काली छाया भारी
करेगी इरादों को पस्त
फिर भी तुझको रुकना न होगा
मस्त चाल से बढ़ना होगा 
जाग मुसाफिर सोच रहा क्या
जीवन एक राही के जैसा
कहीं शाम  तो कहीं सवेरा
कहीं शाम तो कहीं सवेरा

Tuesday 5 April 2011

MAA

माँ
माँ तेरे आँचल का
आश्रय पाकर
धन्य हो गया हूँ मै
माँ तेरी
कर्मपूर्ण जिंदगी
के पालने में
पलकर

कर्तव्यपूर्ण 
जिंदगी का
प्रसाद पाकर
धन्य हो गया
हूँ मै

माँ तेरी आँखों में
स्नेहपूर्ण व्यवहार
अपने बच्चों के लिए
उमड़ता प्यार
देखकर
धन्य हो गया हूँ मै

माँ अपने
बच्चों के भविष्य
के प्रति
तेरे चहरे पर
समय समय पर
उभरती चिंता की लकीरें
साथ ही
तेरा आत्मविश्वास
देख धन्य हो गया हूँ मै

माँ
जीवनदायिनी के
साथ-साथ
प्रेरणादायिनी
प्रेमदायिनी
समर्पणरुपी
मूर्ति के साथ- साथ 
आत्म बल से परिपूर्ण
शक्ति से संपन्न
ओजस
सभ्य
सुसंस्कृत
भविष्य
का निर्माण
करती

सांस्कृतिक
धरोहर
परम्पराओं का
निर्वहन करती
पुण्यमूर्ति को पाकर
धन्य हो गया हूँ मै
माँ
बच्चों को
बड़ों का सम्मान सिखाती
शिक्षकों के प्रति
आस्था जगाती
देवी को पाकर
धन्य हो गया हूँ मै
देखे थे मैंने
समय असमय
तेरी आँखों में आंसू
पर तेरा
विचलित न होना
प्रेरित करता है
मुझे शक्ति देता है
ऊर्जा देता है
विषम परिस्थितियों
में भी जीवन
जीने की कला
जो तूने सिखाई है
माँ
तुझे पाकर
धन्य हो गया हूँ मै
माँ
तुझे पाकर
धन्य हो गया हूँ मै
माँ
तुझे पाकर
धन्य हो गया हूँ मै